सीहोर। अब तक सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली गेहूं की फसल भी इस बार संकट में है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि गेहूं की फसल में भी जमकर इल्लियां लग गईं हैं। ये इल्लियां गेहूं के पत्तों को पूरी तरह चट कर रही है। अब किसान गेहूं में भी कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं, ताकि फसल को बचाया जा सके।
गेहूं की फसल कीटों से सुरक्षित मानी जाती थी, लेकिन अब फसल पर इल्ली का प्रकोप नजर आ रहा है। किसान फसल को बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे लागत अधिक लग रही है। बुदनी, आष्टा, जावर ब्लाक के अलावा सीहोर के मोगराफूल, रफीकगंज, शाहपुर कउड़िया, सेवनिया, महोड़िया, संग्रामपुर, जमनी पड़ली, कचनारिया, मूंडला, मनाखेड़ा सहित आसपास के कई गांवों में गेहूं की फसल को इल्ली काट रही है। हालांकि दवा का छिड़काव व ठंड का असर दिख रहा है, लेकिन इल्ली का खात्मा नहीं हो रहा है। इससे उपज घटने की संभावना को लेकर किसान चितिंत नजर आ रहे हैं।
इसलिए घट गया चने का रकबा-
रबी सीजन की फसलों में इल्ली का प्रकोप चना की फसल पर ज्यादा होता था, लेकिन अब इससे गेहूं की फसल भी सुरक्षित नहीं है। गेहूं की फसल को भी इल्ली चट कर रही है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ रही है। गेहूं से इल्ली को बचानेे के लिए अब फसल में भी दवाओं का छिड़काव करना पड़ रहा है और इससे फसल की लागत बढ़ने से किसानों को परेशानी होगी। किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल में इल्ली कभी नहीं लगी है और न ही इस फसल में दवाओं का छिड़काव किया जाता था, लेकिन दो-तीन साल से अब मौसम में बदलाव के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। किसान सूरज सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल में बहुत ज्यादा मात्रा में इल्ली लगी है, जो फसल को क्षति पहुंचा रही है।
कीटनाशक दवाओं के छिड़काव का भी असर-
किसान चना, मसूर, बटरी में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे इन फसलों के कीट गेहूं की फसल पर पहुंचने लगे हैं। यह कारण भी गेहूं में इल्ली लगने का हो सकता है। वहीं आसमान पर बादल छाने की स्थिति में इल्ली का प्रकोप ज्यादा हो जाता है। कुछ दिनों से आसमान पर बादल भी छा रहे थे, जिससे अन्य फसलों पर भी इल्ली बढ़ रही हैं। हालांकि ठंड में इल्ली कम हो जाती है, लेकिन इस बार फिलहाल चार-पांच दिन से ठंड हो रही है, उसके पहले मौसम गर्म रहा, जिससे इल्ली का प्रकोप हो गया।
गेहूं की लगभग सभी किस्म पर है असर-
लोकवन, 1544, 8713 सहित अन्य किस्म पर इल्ली का प्रकोप नजर आ रहा है। पिछले सप्ताह से ठंठ तेज हुई है, लेकिन इल्ली खत्म नहीं हुई है। जबकि किसान दवा का भी छिड़काव कर रहे हैं। सीहोर निवासी किसान हृदयेश राठौर ने बताया कि उन्होंने पहले सुना ही था कि गेहूं में कीट और इल्ली लगती है। क्षेत्र में जड़माहू रोग तो आम बात हो गई है। मैंने अपने जीवनकाल में गेहूं की फसल में इल्ली को कभी नहीं देखा है, लेकिन भारी मात्रा में गेहूं की फसल में बड़ी-बड़ी इल्ली लग रही हैं, जो कि गेहूं की फसल को ऊपर से काट रही है। जिससे किसानों बहुत नुकसान हो रहा है।
इनका कहना है-
गेहूं में इल्ली का प्रकोप है। इसकेे कई कारण सामने आए हैैं। एक तो कभी गर्मी, कभी ठंड के कारण भी इल्लियां लग रही हैं तो वहीं दलहनी फसलों के खेतोें में इल्ली का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे दवाइयों का छिड़काव करें। कृषि वैज्ञानिक भी इसका कारण खोजने में जुटे हुए हैं। गेहूं की फसल को अच्छी ठंड चाहिए। तेज ठंडी के साथ इल्ली का प्रकोप भी कम हो जाएगा।
– केके पांडेय, उप संचालक, कृषि, सीहोर
अभी तक मेरे पास गेहूं की फसल में इल्ली की शिकायत नहीं आई है। इसकी जांच कराई जाएगी। हालांकि फसल को इल्ली से बचाने के लिए इमामेक्टीन वेंजूएट कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। एक एकड़ फसल के लिए 100 एमएल दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर फसल में डालें। प्रोफीनोफास दवा का भी छिड़काव किया जा सकता है।
– बीएस देवड़ा, कृषि विकास अधिकारी, सीहोर