सीहोर। अब यदि कोई भी महिला घरेलू हिंसा से पीड़ित होती है तो उसे मुआवजे के तौर पर अधिकतम 4 लाख रुपए तक की राशि दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें अन्य सहायत भी दी जाएंगी। दरअसल घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 घरेलू हिंसा के विरुद्ध संरक्षण एवं सहायता का अधिकार देता है, जिनमें शारीरिक हिंसा, लैंगिक हिंसा, मौखिक और भावनात्मक हिंसा, आर्थिक हिंसा इत्यादि सम्मिलित है। योजनांतर्गत घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं, बालिकाओं को ऐसी हिंसा के कारण शारीरिक क्षति होने पर क्षतिपूर्ति, के रूप में सहायता राशि दिए जाने का प्रावधान है। इस योजना के क्रियान्वयन एवं आवश्यक कार्यवाही के लिए कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर ने पुलिस अधीक्षक, सीएमओ स्वास्थ्य और परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग को योजना के दिशा निर्देशानुसार आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। योजनांतर्गत प्राप्त आवेदन पत्रों को निराकरण के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। समिति में पुलिस अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी समिति के सदस्य बनाए गए हैं तथा सदस्य सचिव जिला कार्यक्रम अधिकारी को बनाया गया है।
घटना दिनांक से एक वर्ष के अंदर करना होगा आवेदन-
क्षति से आशय शारीरिक क्षति जो घरेलू नातेदार की ओर से किए गए किसी आपराधिक कृत्य अथवा लोप के परिणामस्वरूप हुई हो। घरेलू हिंसा का वही अर्थ है, जो घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम-2005 की धारा 3 में प्रावधानित है। घरेलू नातेदारी का यही अर्थ है, जो घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम-2005 की धारा 2 (च) में प्राक्यानित है। अधिकारी, प्रशासक को आवेदक (पीड़िता आश्रित) द्वारा घटना की दिनांक से 1 वर्ष के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना होगा। सूचना किसी भी माध्यम से प्राप्त होने पर संरक्षण अधिकारी, प्रशासक घरेलू हिंसा की घटना संज्ञान लेकर स्वमेव भी आवेदक के संपर्क कर आवेदन प्राप्त कर सकेगा। आवेदन के साथ घटना की एफआईआर दर्ज किया जाना होगा। संरक्षण अधिकारी, प्रशासक द्वारा अपना प्रतिवेदन जिला कार्यक्रम अधिकारी को कार्यवाही के लिए दिया जाएगा।
ऐसा होगी आवेदन की प्रोसेस-
योजना के अंतर्गत प्राप्त आवेदन पत्रों को संबंधित जिले का जिला कार्यक्रम अधिकारी, गठित जिला स्तरीय समिति के समक्ष निर्णयार्थ रखेगा। सदस्य सचिव स्वीकृति जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग द्वारा जारी किया जाएगा। सहायता राशि का संवितरण आधार से जुडेÞ बैंक खाते के माध्यम से किया जाएगा। यदि पीड़िता अवयस्क है, तो मामले में क्षतिपूर्ति राशि अभिभावक के खाते में दी जा सकेगी। अवयस्था के खाते में सावधि जमा के संबंध में भी निर्णय जिला स्तरीय समिति द्वारा तात्कालीक परिस्थितियों के आधार पर लिया जा जाएगा।
योजना की निगरानी-
जिला स्तरीय समिति द्वारा योजना के क्रियान्वयन की निगरानी तैमासिक आधार पर की जाएगी। जिला स्तरीय समिति द्वारा आवेदनों का परीक्षण व पुनरावलोकन कर राशि निर्धारण किए जाने के लिए कलेक्टर आवश्यकतानुसार बैठक आयोजित कर योजनांतर्गत जिला स्तर पर जिले में पदस्थ महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
परिवहन एवं यात्रा-
पीड़िता को शारीरिक क्षति होने पर गंतव्य स्थल तक जिसमें पीड़ित महिला का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन रहने की अवधि भी शामिल है, आवागमन के लिए तत्कालीक रूप से परिवहन के वास्तविक व्यय की व्यवस्था जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा की जाएगी जो कि सार्वजनिक परिवहन की दरों के अनुरूप होगा। घरेलू हिंसा के कारण पीड़िता के किसी अंग की स्थाई क्षति होने पर आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके लिए प्रक्रिया जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा शासन निर्देशानुसार निर्धारित कि जाएगी।
इधर अब शहरी क्षेत्र के श्रमिकों को मिलेगी वृद्धावस्था पेंशन
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि शहरी क्षेत्रों के असंगठित श्रमिकों को प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना का लाभ दिया जाएगा। योजना में पंजीयन का कार्य शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव में सभी पात्र श्रमिकों का पंजीयन अभियान चलाकर किया जाए। इस योजना में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को वृद्धावस्था में पेंशन एवं सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सकेगा। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना का लाभ स्ट्रीट वेंडर, मिड-डे-मील वर्कर, बोझा ढोने वाले, ईट भठ्ठा मजदूर, मोची, कूड़ा बीनने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, कृषि श्रमिक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी श्रमिक, हथकरघा श्रमिक, चमड़ा श्रमिक, दृश्य-श्रव्य बाधित श्रमिक, दैनिक वेतन भोगी, सफाई कर्मचारी, आॅउटसोर्स संस्था द्वारा नियोजित कर्मचारी/सफाई कर्मचारी या इसी तरह के अन्य व्यवसाय में काम करने वाले श्रमिकों को दिया जा सकता है।
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