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सीहोर में अफसरों का कारनामा, 200 किसानों की 3500 एकड़ जमीन की कर दी फर्जी रजिस्ट्रियां

- रेहटी तहसील से लेकर सीहोर जिला पंजीयक-उप पंजीयक कार्यालय की संदिग्ध भूमिका, कई वेंडर भी शामिल

सुमित शर्मा, सीहोर
9425665690
सीहोर जिला पंजीयक कार्यालय वर्तमान में पंजीयक अधिकारी प्रेमनंदन सिंह के ड्राइवर रवि सोलंकी के कारनामों को लेकर चचार्ओं में है, लेकिन इससे पहले भी जिला पंजीयक-उप पंजीयक कार्यालय सीहोर ने कई बड़े-बड़े कारनामें किए। जिला उप पंजीयक कार्यालय ने रेहटी तहसील के करीब 200 किसानों की 48 फर्जी रजिस्ट्रियां करके 3500 एकड़ जमीन पीएसीएल कंपनी की अन्य सहयोगी कंपनियों के नाम पर फर्जी रजिस्ट्री कर जमीनें कंपनियों के नाम कर दी। किसानों को पता ही नहीं और उनकी जमीनें बिक गई। मामले का खुलासा मार्च-2023 में उस समय हुआ, जब कुछ किसान जरूरत के मुताबिक अपनी जमीनों के क्रय-विक्रय, पारिवारिक बंटवारा आदि करने उप पंजीयक कार्यालय बुधनी एवं तहसील कार्यालय रेहटी पहुंचे। उस समय उन्हें पता चला कि उनकी जमीन के अंतरण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। इसके बाद मामले का खुलासा परत-दर-परत होता चला गया। किसानों को अपनी जमीनों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना पड़ा। अब कुछ किसानों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।
3500 एकड़ जमीनों की कर दी फर्जी रजिस्ट्री-
सीहोर जिले में अधिकारियों के कई बड़े-बड़े कारनामें सामने आते रहे हैं। ऐसा ही एक मामला वर्ष 2013-14 का सामने आया, जिसमें तत्कालीन जिला पंजीयक अधिकारी सहित उप पंजीयक अधिकारियों, वेंडरों एवं रेहटी तहसील के अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से करीब 200 किसानों की 48 फर्जी रजिस्ट्रियां की गईं। इन रजिस्ट्रियों के माध्यम से किसानों की लगभग 3500 एकड़ जमीनें पीएसीएल की कई फर्जी कंपनियों के नाम करके न केवल उन्हें करोड़ों का लाभ दिया गया, बल्कि फर्जी स्टाम्प आईडी का उपयोग कर शासन को भी करोड़ों का चुना लगाया। इस मामले का जब खुलासा हुआ तो किसानों के पैरों के नीचे से जमीनें खिसक गई।
किसानों ने की सुप्रीम कोर्ट, सेवी और पीएम कार्यालय को शिकायत-
सीहोर जिले के अधिकारियों के कारनामों से अपनी जमीनें खोने की कगार पर आ चुके किसानों ने अपनी जमीनें बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट एवं मामले में सीबीआई की ओर से प्रस्तुत चार्ज शीट पर कोर्ट द्वारा गठित पूर्व जस्टिस आरएम लोढ़ा समिति, पीएम कार्यालय, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेवी), मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, मुख्य सचिव वल्लभ भवन, सीहोर कलेक्टर, सीहोर पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी रेहटी, तहसीलदार रेहटी को भी एक आवेदन पत्र लिखा। इसमें बताया गया कि रेहटी तहसील के विभिन्न गांवों के कृषकगण, जो अपनी जमीनों के क्रय-विक्रय के संबंध में उप पंजीयक कार्यालय बुधनी जिला सीहोर पहुंचे, तब किसानों को सर्वप्रथम मामले की जानकारी मिली। इसके बाद एसडीएम बुधनी द्वारा रेहटी तहसीलदार को भी पत्र लिखकर सूचित किया गया कि रेहटी तहसील के ग्राम सगोनिया, बरखेड़ा, गेहूंखेड़ा, डोंगरी, बोरदाखेड़ा, बासनियाकलां, मरदानपुर, भड़कुल, मट्ठागांव, रैगांव सहित कई अन्य गांवों के किसानों की जमीनों के क्रय-विक्रय पर रोक लगाई गई है।
नाम ओरिजनल, फर्जी फोटो लगाकर किए हस्ताक्षर-
जिला पंजीयक-उप पंजीयक कार्यालय सीहोर द्वारा रेहटी तहसील के किसानों की गई फर्जी रजिस्ट्रियों में गवाह एवं किसानों के नाम तो ओरिजनल लिखे गए, लेकिन सभी के फोटो भी फर्जी लगाए गए। बताया जा रहा है कि इस फजीर्वाड़े में जिला पंजीयक-उप पंजीयक कार्यालय में पदस्थ तत्कालीन अधिकारियों में से अभिषेक सिंह, प्रतिभा कुम्भारे और चंद्रभान साहू की संदिग्ध भूमिका रही। इसके अलावा फर्जी भू-अधिकार पुस्तिका जारी करने रेहटी तहसील कार्यालय सहित सीहोर के रजिस्ट्री स्टांप वेंडरों की भी इसमें संलिप्तता है।
फर्जी रजिस्ट्री को आधार बनाकर आर्थिक क्रेडिट स्कोर बनाया-
किसानों की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तन्मय यादव एवं सीहोर जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील दुबे ने बताया कि पीएसीएल की अन्य सहयोगी कंपनियों ने फर्जी रजिस्ट्री की संपत्ति को आधार बनाकर अपना आर्थिक क्रेडिट स्कोर बनाया और शेयर बेचे। जब शेयर मार्केट में देश के लोगों का लगाया पैसा डूबा तो भारतीय विनिमय बोर्ड ने कंपनी के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाई। सीबीआई की जांच में कंपनी की संपति के पेपर जप्त किए गए और चार्जशीट माननीय सर्वाेच्च न्यायालय में प्रस्तुत की, जहां से जप्त दस्तावेजों में उल्लेखित संपत्ति के विक्रय बंधक अंतरण पर रोक लगाई गई। जब जमीनों पर रोक के आदेश जमीनों, किसानों की सूची संबंधित तहसील कार्यालय में आई, तब किसानों को जानकारी हुई कि हमारी जमीन की फर्जी रजिस्ट्री हुई है। किसानों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के समक्ष उनकी जमीन के फर्जी दस्तावेज होने एवं लगाई गई रोक को हटाने की कार्यवाही की है, जिसमें से कुछ किसानों के आदेश हुए हैं और कुछ मामले विचाराधीन हैं।
ये बोले पीड़ित किसान-
सगोनिया निवासी किसान विजय सिंह यदुवंशी ने बताया कि उनकी एवं गांव के अन्य किसानों की जमीन जिनका खसरा नंबर 9/1, 99/1, 99/5, 21/1, 19, 41, 160/10, 52, 72/3, 89/1, 89/3, 102/1, 102/2, 102/6, 90/1, 102/3, 89/4, 99/8, 99/9, 13/2, 72/2, 99/4, 103/4, 89/4, 33, 13/3, 21/2, 21/5, 65, 103/1, 104/1, 104/4, 107/14, की भूमि को पीएसीएल कंपनी की मोसोनिरी डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड पश्चिम विहार नईदिल्ली, अंडरकापट प्रा. लि. प्लाट नंबर आरजेडी 26 सहित कई अन्य कंपनियों के नाम पर कर दी गई। मामले का खुलासा भी उस समय हुआ, जब हम अपनी जमीनों के बंटवारा एवं क्रय-विक्रय की प्रक्रियाएं कर रहे थे, तब पता चला कि हमारी जमीनों पर तो सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। इसके बाद किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और अब कई किसानों को इसमें राहत मिली है। कुछ किसानों का मामला अभी माननीय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसी तरह रेहटी, गेहूंखेड़ा सहित तहसील के कई गांवों के 48 किसानों की करीब 3500 एकड़ जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री कर दी गई थी।
इनका कहना है-
इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। किसी पीड़ित ने भी शिकायत नहीं की है। आप जिला कलेक्टर से चर्चा कीजिए।
संजीव सिंह, कमिश्नर, भोपाल संभाग

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