इधर कृषि विभाग ने लगाया प्रतिबंध, उधर व्यापारियों ने खोला मोर्चा, सौंपा ज्ञापन

- बिना मान्यता के जैविक उत्पाद, बायोइस्टीमुलेंट एवं अन्य उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध, खाद-बीज कीटनाशक दवाइयां के विक्रेताओं ने किया विरोध

सीहोर। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार किसानों को गुणवत्तापूर्ण आदान सामग्री की उपलब्धता कराने के लिए कृषि उप संचालक अशोक कुमार उपाध्याय ने जिले में बिना मान्यता के बिक रहे जैविक उत्पाद, बायोइस्टीमुलेंट एवं अन्य उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में विक्रेताओं एवं निर्माता कंपनियों को आदेश जारी किया है। इधर केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जबरन थोपे जा रहे कानून और अपनी विभिन्न मांगों के निराकरण नहीं किए जाने के विरोध में बुधवार को जिलेभर के खाद-बीज कीटनाशक, दवाईयां के विक्रेता एकजुट दिखाई दिए। जिला कृषि आदान विक्रेता संघ के बैनर के साथ खाद, बीज, कीटनाशक दवाईयों के विक्रेताओं ने पहले भोपाल नाके से कलेक्ट्रेट तक फिर कलेक्ट्रेट से कृषि उपसंचालक कार्यालय तक पैदल मार्च निकालकर सरकार के नियमों के विरुद्ध हल्ला बोल प्रदर्शन किया एवं ज्ञापन भी सौंपा।
कृषि विभाग ने लगाया प्रतिबंध, आदेश किया जारी-
कृषि विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार सभी प्रकार के अकार्बनिक, कार्बनिक, मिश्रित तथा जैव उर्वरकों जैसे ह्यूमिक तथा फुल्विक एसिड, एमीनो एसिड, एन्टीआॅक्सीडेंट तथा विटामिन का मिश्रण, समुद्री शैवाल अर्क, स्पिरूलिना, प्रोटीन हाइड्रोलाइसेस, बैक्टीरियल बायोमास, माइक्रोवियल, सेकरोमाइसिस, वृद्धि उत्प्रेरक (ग्रोथ रेगुलेटर) एवं समस्त प्रकार के टॉनिक उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1985 के अधीन माने गए हैं। किसी उर्वरक विक्रेता एवं निर्माता कंपनी द्वारा यदि अपने उत्पादों के विक्रय के लिए जिले के कृषि विभाग के उप संचालक तथा कृषि विकास पदेन अनुज्ञापन अधिकारी से अनुमति प्राप्त नहीं की गई है और अनुज्ञप्ति में दर्ज कराए बगैर इनका विक्रय अथवा भंडारण किया जा रहा है, तो इस प्रकार का समस्त व्यवसाय उर्वरक (नियंत्रण) आदेश एवं कीटनाशी नियम के अनुसार अनाधिकृत माना जाएगा। इसके साथ ही जैव उत्पादों से संबंधित पूर्व में ली गई (जी-1, जी-2) आदि अनुमति निरस्त समझी जाएंगी। जिले की सीमा के भीतर जिन जैव उर्वरक कंपनियों एवं विक्रेताओं द्वारा जैव उत्पादों का व्यवसाय अनाधिकृत रूप से किया जा रहा है, उन्हें सात दिवस का समय उत्पादों को विक्रय परिसर से हटाने के लिए निर्धारित किया गया है। सभी जैव उर्वरक कंपनियों एवं विक्रेताओं को निर्देशित किया गया है कि वे समस्त अनाधिकृत जैव उत्पाद एवं उर्वरक उत्पादों को निर्माता कंपनियों को वापस करें एवं निर्माता कंपनी अपने उत्पादों को सीहोर जिले के विक्रेताओं के विक्रय परिसर से हटा लें। सात दिवस की अवधि बाद भी यदि किसी विक्रेता के उर्वरक विक्रय केंद्र पर अनाधिकृत बायो उर्वरक उत्पाद का भंडारण पाया जाता है, तो संबंधित विक्रेता एवं कंपनी के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
खाद-बीज, कीटनाशक दवाई विक्रेताओं ने निकाला मार्च, सौंपा ज्ञापन-
जिला कृषि आदान विक्रेता संघ के सीहोर जिला कार्यकारी अध्यक्ष सुनील राठी के नेतृत्व में विक्रेताओं ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम का ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर आनंद राजावत को दिया। इसके बाद सभी विक्रेता विरोध रैली के रूप में कृषि उपसंचालक कार्यालय पहुंचे और यहां पर भी समस्याओं के निराकरण को लेकर ज्ञापन सौंपा। आक्रोश दर्ज कराते हुए खाद-बीज, कीटनाशक दवाईयों के विक्रेताओं ने डिप्टी कलेक्टर को बताया कि कृषि विभाग द्वारा जारी विक्रय लायसेंस के अनुसार उक्त कृषि आहारों का क्रय एवं विक्रय कर अपना व्यापार व्यवसाय नियमानुसार करते हैं। शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार कंपनियों को दी गई अनुमतियों के उपरांत ही कृषि आदान सामग्रियों का क्रय एवं विक्रय करते हैं। कंपनी से जो भी खाद, बीज एवं कीटनाशक दवाईयों सहित अन्य कृषि उत्पाद सील पैक पैकिंग में प्राप्त होता है। इसके साथ ही कीटनाशक दवाईयों एवं बीज उर्वरकों की गुणवत्ता जस के तस विक्रय करते हैं, लेकिन खाद बीज कीटनाशक गुणवत्ताहीन पाए जाते हैं तो क्रेता द्वारा शिकायत होती है। शिकायत के बाद जब विभाग का जांच दल दुकान पर पहुंचता है तो कंपनी पर नहीं विक्रेता पर कार्यवाही करता है, जबकि हम सिर्फ विक्रेता हैं उत्पादों के निर्माता नहीं है। इसके बावजूद विक्रेताओं पर एफआईआर दर्ज तक करवा दी जाती है। दुकानें सील कर दी जाती हैं, जिससे लाखों रुपए का नुकसान होता है, जबकि गलती हमारी नहीं कंपनी की होती है। दुकान गोदाम सील होने से अन्य कंपनियां के प्रोडक्ट भी रखे रह जाते हैं और समय सीमा निकालने के बाद वहां खराब हो जाते हैं, जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान होता है। कृषि आदान विक्रेता संघ अध्यक्ष सुनील राठी ने बताया कि कपंनियों द्वारा निर्धारित कीटनाशक दवाईयां बेस्ट आॅफ प्रेक्सटिस के अनुसार बनाई जाती है, जबकि किसानों द्वारा उक्त दवाईयों को अपनी सुविधा के अनुसार उपयोग में लाया जाता है, जिसके कारण उक्त दवाईयों के अच्छे रिजल्ट भी नहीं मिल पाते हैं। इसका जिम्मेदार भी हम विक्रेताओं को ही ठहराया जाता है। समस्याओं को लेकर हम व्यापारीगणों में अनिश्तिताओं का माहौल बना हुआ है।

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