
सीहोर । जिलेभर में सावन मास के पहले सोमवार को शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ा। इस दौरान जहां कई शिवालयों में अभिषेक हुआ तो वहीं कई स्थानों पर महामृत्यंजय और ऊं नम: शिवाय का जाप व 108 पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया गया। इधर रेहटी तहसील के रमघड़ा स्थित रुद्रधाम आश्रम में पांच लाख पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जा रहा है।
सीहोर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र में सावन महीने के पहले सोमवार को यहां पर भगवान शिव का फूलों से विशेष श्रृंगार कर महामृत्यंजय और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों का जाप कर 108 पार्थिव शिवलिंगों का यहां पर मौजूद सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने निर्माण कर पंचामृत से अभिषेक किया। इस मौके पर पंडित सतीश शर्मा के मार्गदर्शन में पहले सोमवार को यहां पर मौजूद हितग्राहियों के अलावा पंडित राकेश शर्मा, ममता शर्मा, गोविन्द मेवाड़ा, अमित जैन, दिपाली जैन, नटवर कुशवाहा, आनंद व्यास, मनीष सोनी और कपिल रजोरिया आदि ने भगवान शिव के मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की। इस मौके पर 108 पार्थिव शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया।
पांच लाख पार्थिक शिवलिंगों का हो रहा निर्माण-
रेहटी तहसील के प्रसिद्ध तीर्थस्थल रमघड़ा स्थित रुद्रधाम पर सावन मास में पांच लाख पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जा रहा है। रुद्रधाम के गुरूजी के सानिध्य में ब्राह्मणों की उपस्थिति में चल रहे इस आयोजन में यजमानों द्वारा प्रतिदिन पार्थिक शिवलिंग बनाकर उनका अभिषेक पूजन किया जा रहा है। यह आयोजन सावन मास चलेगा। सावन के पहले सोमवार को रुद्रधाम आश्रम में भक्तों की भी दिनभर आवाजाही रही। लोगोें ने सुबह से ही आश्रम में पहुंचकर भगवान रुद्रधाम का अभिषेक, पूजन किया।
कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ
सीहोर। शहर के छावनी स्थित बड़ा बाजार में सावन मास में आयोजित सात दिवसीय भव्य संगीतमय भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ किया गया। कलश यात्रा सुबह शहर के खजांची लाइन स्थित श्रीजी की हवेली से निकाली गई जो शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए कथा स्थल पहुंची। इसके पश्चात दोपहर दो बजे से भागवत कथा का शुभारंभ किया। कथा के पहले दिन आचार्य देवेन्द्र राधेश्याम व्यास ने भागवत कथा का महत्व तथा उसके श्रवण के प्रकार बताए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा जो कोई श्रवण करेगा वह ठाकुरजी को प्राप्त करने में सफल होगा तथा उसके जन्म-जन्मों के मोह-माया के बंधन दूर होंगे। माता-पिता दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। हर बात से अनजान व्यक्ति अगर माता पिता की सेवा कर ले तो वैसे ही भवसागर पार कर लेता है। सोमवार को भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। अधिक मास में इसके श्रवण का महत्व है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। कथा के पहले दिन जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती उषा रमेश सक्सेना, धर्मेन्द्र ठाकुर, श्रीमती शोभा चांडक, सुरेश झंवर, सुभाष अग्रवाल, रामेश्वर सोनी, तारा अग्रवाल, अनिता बांगड आदि श्रद्धालुओं ने आरती की। कथा के पहले दिन आचार्य श्री व्यास ने कहा कि आचरणवान पुरुष चलता-फिरता वेद रूप होता है और भगवान की कथा मनुष्य को यह स्वरूप प्रदान करने में पूर्ण समर्थ है। श्री सच्चिदानंद का शाब्दिक विग्रह करते हुए कहा कि भगवान सर्वकालिक, चैतन्य और ज्ञान वान हैं। संसार के सभी सुख अस्थायी और क्षणभंगुर हैं किंतु ईश्वर के सानिध्य से प्राप्त होने वाला सुख शाश्वत होता है। श्रीमद् भागवत कथा अंधकार से प्रकाश अर्थात अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है। भगवान के स्वभाव का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से उनकी कथा सबकी रक्षा करती है।