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शिव महापुराण के अंतिम दिन उमड़ा आस्था का सैलाब, हवन और आरती के पश्चात भव्य भंडारे का आयोजन किया

सीहोर। शहर के छावनी स्थित जगदीश मंदिर में जारी सात दिवसीय श्री शिवमहापुराण का समापन किया गया। इस मौके पर अंतिम दिन शाम को हवन पूजन के पश्चात रात्रि को भंडारे का आयोजन किया। अंतिम दिन आचार्य पंडित मनोज कृष्ण ने गणेश चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने चले जाते हैं। लेकिन गणेश जी माता पिता की परिक्रमा करते हैं। परिणाम गणेश जी विजयी होते हैं। यानी माता पिता का स्थान सर्वोपरि है। शास्त्र की व्याख्या करते कथा व्यास कहते हैं कि शास्त्र कहता है कि सबसे बड़ा भगवान, उससे बड़ा गुरु, गुरु से बड़ा पिता तथा पिता से भी बड़ा है मां का स्थान।
उन्होंने बुद्धि की परीक्षा वाला वह प्रसंग सुनाया जिसमें भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती ने कहा था कि दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर आएगा वही मेरी गोद में बैठेगा। कार्तिक जी अपने वाहन मोर पर सवार होकर निकले और गणेश से कहा-तुम्हारा वाहन तो चूहा है, तुम कैसे परिक्रमा करोगे। कार्तिक के जाते ही बुद्धि के दाता गणेश ने भोले और पार्वती की तीन परिक्रमाएं की और गोद बैठने की जिद करने लगे। माता बोली-तुमने पृथ्वी की परिक्रमा कहां की है? भगवान गणेश बोले माता मैंने आपकी और पिताजी की परिक्रमा कर ली है जो माता पृथ्वी से बड़ी है और मैंने तो एक नहीं, तीन परिक्रमाएं की हैं यानी धरती और आकाश के साथ तीनों लोकों होकर आ गया है। यह जवाब सुनते ही माता ने उन्हें गले से लगा लिया और गोद में बिठाया। कथा का सार बताते हुए कहा इसलिए भगवान गणेश बुद्धि के दाता कहलाते हैं। हर पूजन से पहले भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है और हर मंगल कार्य के आरंभ में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शिव महापुराण के अंतिम दिन मुख्य यजमान देवेन्द्र चौहान, शैलेन्द्र चौहान, मनोज दीक्षित मामा, पंडित राहुल शास्त्री, रामू सोनी के अलावा अन्य श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की।

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