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हड़ताल से हाहाकार… फिर भी नहीं हो रही पुकार

सीहोर जिले में रोजगार सहायक एवं आशा, आशा सहयोगिनी की हड़ताल से हो रहा है कामकाज प्रभावित

सीहोर। सीहोर जिले में इस समय रोजगार सहायकों एवं आशा, आशा सहयोगिनी की हड़ताल चल रही है। रोजगार सहायक एवं आशा, आशा सहयोगिनी अपनी नियमितीकरण, वेतन वृद्धि सहित कई मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, लेकिन अब तक इनकी कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। इनके हड़ताल पर जाने से कई जगह हाहाकार जैसी स्थितियां भी निर्मित हो रही हैं, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से ऐसी कोई पहल नहीं हो सकी है, जिससे इनकी हड़ताल समाप्त हो।
इस समय प्रदेशभर सहित सीहोर जिले में मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना का काम सबसे बड़ी प्राथमिकता पर चल रहा है। इसके अलावा ग्राम पंचायत स्तर पर कई अन्य योजनाओं सहित अन्य कार्य भी लगातार जारी हैं। पंचायतों में सचिव के सहयोगी के रूप में रोजगार सहायक भी नियुक्त किए गए हैं, लेकिन इस समय जिलेभर के 500 से अधिक रोजगार सहायक इस समय हड़ताल पर हैं। इनके हड़ताल पर जाने से सबसे ज्यादा काम मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना का प्रभावित हो रहा है। दरअसल योजना के तहत महिलाओं की ईकेवायसी करना और फिर उनका आवेदन फार्म भरकर उसे आॅनलाइन चढ़ाना होता है, लेकिन पंचायतों में रोजगार सहायकों के नहीं होने से ये काम सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कई पंचायतों में तो रोजगार सहायक ही सचिव के प्रभार में भी है। ऐसी पंचायतों में तो ये कार्य ही नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
ये हैं रोजगार सहायकों की प्रमुख मांगे-
रोजगार सहायक संघ के सीहोर जिलाध्यक्ष अखिलेश मेवाड़ा ने बताया कि पंचायतों में ग्राम रोजगार सहायक पिछले 12 सालों से केंद्र व राज्य शासन की समस्त योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं। महंगाई के इस दौर में 9 हजार रुपए में जीवन यापन करना संभव नहीं है। रोजगार सहायक के वेतन में लगभग 5 सालों से वृद्धि नहीं हुई है, जिसे बढ़ाकर 30 हजार रुपए किया जाए। इसी तरह मुख्यमंत्री द्वारा 25 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री निवास पर की गई घोषणा जिसमें रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति के बदले निलंबन अवधि में अन्य कर्मचारियों की भांति नियमानुसार निर्वाहन भत्ता दिया जाए। इसके अलावा राज्य सरकार के कर्मचारियों का दर्जा सहित कई अन्य प्रमुख मांगे हैं।
हड़ताल के कारण कार्य हो रहा है प्रभावित-
अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठी आशा, आशा सहयोगिनी संयुक्त मोर्चा के कारण कई अहम कार्य प्रभावित हो रहे हैं। आशा, ऊषा, आशा पर्यवेक्षक अध्यक्ष चिंता चौहान ने बताया कि आशा, ऊषा, आशा सहयोगिनी गांव में विभिन्न विभागों के अंतर्गत पुरी तत्परता के साथ काम करती हैं। पहले नियुक्ति केवल बढ़ती मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हुई थी, परंतु बाद में विभिन्न विभागों के अंतर्गत अन्य कार्य भी कराए जाने लगे। कोरोनाकाल में भी अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी उत्कृष्ट सेवाएं शासन को प्रदान की थी तथा सरकार द्वारा विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के सर्वे में भी हमने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा महिला के गर्भवती होने से लेकर बच्चे के टीकाकरण होने तक लगातार मॉनीटरिंग करना होती है तथा किसी भी परिस्थिति मौसम एवं समय पर गर्भवती महिला के साथ चिकित्सालय जाना होता है। 24 घंटे में कभी भी बुलावा आने पर तत्काल सभी काम छोड़कर अपने कार्य स्थल पर जाना पड़ता है। इसके बावजूद भी वेतन एक मजदूर की आय से भी कम है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। एक ओर तो सरकार महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना ला रही है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री को अपनी इन उत्कृष्ट कार्य करने वाली बहनों की बिल्कुल भी चिंता नहीं है।

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