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पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा- चरित्र और विनम्रता ही सबसे बड़ी शिक्षा

सीहोर। शहर के बड़ा बाजार में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति का चरित्र और विनम्रता शिक्षा से बढक़र होती है। उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा सिर्फ ज्ञान नहीं देती, बल्कि चरित्र का निर्माण, आत्म-अनुशासन और सहानुभूति का विकास भी करती है।
अग्रवाल महिला मंडल द्वारा आयोजित इस कथा के चौथे दिन पंडित मिश्रा ने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि विनम्रता विद्या का सबसे बड़ा फल है और यही सुख का आधार भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें किसी की भी मदद निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए, क्योंकि प्रतिफल की उम्मीद रखना मदद का उद्देश्य खत्म कर देता है।

राजा शिवि का उदाहरण और भगवान का जन्मोत्सव
पंडित मिश्रा ने राजा शिवि की कहानी भी सुनाई, जिन्होंने एक कबूतर को बचाने के लिए बाज को अपने शरीर का मांस काटकर दे दिया था। उन्होंने कहा कि यह कहानी दया, परोपकार और वचन के प्रति निष्ठा को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भगवान भोलेनाथ न्यायप्रिय हैं और किसी को दुखी नहीं देख सकते, इसलिए हमें दया और परोपकार का साथ कभी नहीं छोडऩा चाहिए। कथा के दौरानए भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई गई, पूरा पंडाल नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों ने ढोल नगाड़ों के साथ पुष्प वर्षा की और माखन मिश्री का प्रसाद बांटा।

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