
सीहोर। शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के छठे दिन कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि माखन चोरी की लीला कोई साधारण घटना नहीं थी, बल्कि यह कंस के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विद्रोह था। उन्होंने बताया कि समय के साथ इस प्रसंग को गलत तरीके से पेश किया गया है, जबकि भगवान धरती पर चोरी करने नहीं आते वे तो अधर्म का नाश करने के लिए अवतार लेते हैं। भगवान ने इस लीला के माध्यम से अपने भक्तों के सच्चे प्रेम और भक्ति को ग्रहण किया।
पंडित मिश्रा ने कहा कि मानव जीवन दो कारणों से मिलता है। अपने कर्मों का फल भोगने और भगवान की भक्ति करने के लिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिनका मन शुद्ध और पवित्र होता है, उन्हीं को परमात्मा की प्राप्ति होती है। निर्मल मन से ही ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है। भगवान को केवल निश्छल प्रेम की भूख होती है, छल-कपट से उन्हें प्राप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कथा पंडाल के बाहर माइक की आवाज सुनकर भक्ति में लीन सैकड़ों श्रद्धालुओं की भी प्रशंसा की और इसे भक्ति की चरम सीमा बताया। उन्होंने कहा कि ईश्वर का नाम जपने के लिए कोई भी स्थान छोटा नहीं होता।
कृष्ण-रुक्मणी विवाह और कंस वध का प्रसंग
छठे दिन कथा में भगवान श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह का सुंदर प्रसंग सुनाया गया। उन्होंने कहा कि जब धरती पर अधर्म बढ़ जाता है और सत्कर्मों का अभिमान नष्ट हो जाता है, तब भगवान भक्तों को तारने के लिए अवतार लेते हैं। कथा सुनने से पापों का नाश होता है और भगवान के स्वरूप का ज्ञान मिलता है। कथा में कंस द्वारा कृष्ण-बलराम को मारने के विफल प्रयासों और अंतत: उनके मथुरा पहुंचने का वर्णन भी किया गया, जहां भगवान ने मदमस्त हाथी और कंस का वध कर भक्तों को भय मुक्त किया। कथा के दौरान कृष्ण-रुक्मिणी की भव्य झांकी भी सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष रुक्मिणी रोहिला ने बताया कि सात दिवसीय भागवत कथा का समापन रविवार सुबह 8 बजे होगा।