जातिगत समीकरण में उलझे राजकुमार, भाजपा भी नहीं साध पाई स्थिति
किरार समाज के कारण कांग्रेस ने बनाया था राजकुमार पटेल को प्रत्याशी, नहीं बन पाई बात
सीहोर। बुधनी विधानसभा के उपचुनाव नतीजे सामने आने के बाद अब इन पर मंथन भी किया जा रहा है। उपचुनाव में जातिगत समीकरण पूरी तरह से हॉवी रहे। जातिगत आधार पर वोट बैंक की यह रणनीति कांग्रेस के लिए भारी पड़ गई। कांग्रेस ने भले ही किरार समाज के वोटों के गणित को लेकर राजकुमार पटेल को टिकट देकर मैदान में उतार दिया, लेकिन राजकुमार पटेल किरार समाज के जातिगत समीकरण में उलझकर रह गए। उन्हें सामाजिक वोट उतने नहीं मिले, जिनकी उन्हें उम्मीद थी। यदि कांग्रेस यह दाव किसी ब्राह्म्ण चेहरे पर खेलती तो शायद चुनाव नतीजे कुछ और होते, लेकिन कांग्रेस ने अपने हाथों से बुधनी विधानसभा सीट को गंवा दिया है। हालांकि भाजपा की यह जीत भी बेहद कम अंतर से हुई है, ऐसे में चिंतन करने की जरूरत भाजपा को भी है। उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव, कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल के अलावा सपा, आप सहित 20 उम्मीदवार मैदान में थे। भाजपा, कांग्रेस का अपना वोट बैंक है, जो उन्हें हमेशा से मिलता रहा है, लेकिन अन्य उम्मीदवारों ने भी भाजपा-कांग्रेस के जातिगत समीकरणों को बिगाड़ दिया। भाजपा, कांग्रेस के अलावा अन्य उम्मीदवारों एवं नोटा को करीब 12488 वोट मिले हैं। यदि ये वोट निर्दलीय एवं अन्य दलों को नहीं जाते तो निश्चित रूप से इसमें से एक तिहाई वोट भाजपा को मिलते। ऐसे में भाजपा की जीत का अंतर बढ़ता, लेकिन यहां पर जातिगत समीकरणों ने खेल बिगाड़ दिया। कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल चुनाव नतीजों के बाद जरूर खुश हो रहे होंगे कि उन्होंने भाजपा की जीत का अंतर बेहद कम कर दिया है, लेकिन उन्हें इस पर भी चिंतन एवं चिंता करनी चाहिए कि वे अपने समाज के वोट बैंक को ही नहीं साध पाए। यदि किरार समाज का वोट उन्हें मिलता तो यह जीत का अंतर और भी कम हो सकता था। हालांकि शुरूआती नतीजों में राजकुमार पटेल भाजपा पर हॉवी रहे। राजनीतिक विशेषज्ञ बता रहे हैं कि जो बढ़त उन्हें मिली थी वह बढ़त बकतरा एवं उनके आसपास के मतदान केंद्रों की थी, इसके बाद से जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ती रही वैसे-वैसे राजकुमार पटेल पिछड़ते गए। मतदान क्रमांक 1 कुसुमखेड़ा जो कि बकतरा क्षेत्र में आता है, लेकिन यहां से भाजपा को 258 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 132 ही मत प्राप्त हुए। इसी तरह तिकारी में भाजपा को 243, कांग्रेस को 148 वोट मिले। हालांकि देहरी, निमोटा सहित अन्य मतदान केंद्र ऐसे रहे, जहां पर भाजपा और कांग्रेस को लगभग बराबर वोट मिले, जबकि ये क्षेत्र राजकुमार पटेल के वर्चस्व वाले माने जाते हैं। यहां पर किरार समाज का भी बड़ा वोट बैंक हैं, लेकिन राजकुमार पटेल जातिगत समीकरण साधने में विफल रहे। दूसरी तरफ भाजपा की जीत के अंतर का कारण भी भाजपा ही है। स्थानीय नेताओं का विरोध कहीं न कहीं भाजपा के अंतर को कम कर गया है। बुधनी विधानसभा के स्थानीय नेताओं की आपसी खींचतान एवं जनता के बीच में बेहतर छवि नहीं होना इसका प्रमुख कारण रहा। इसके अलावा विरोध कर रहे किसानों को नहीं साधना भी भाजपा की जीत का अंतर कम होने का बड़ा कारण रहा। किसान स्वराज्य संगठन पहले ही कह चुका था कि वह चुनाव का बहिष्कार करेगा। हालांकि मतदान का प्रतिशत जिस तरह से सामने आया है उससे जाहिर है कि बेहद कम किसानों ने ही चुनाव का बहिष्कार किया है। हालांकि बुधनी उपचुनाव में कांग्रेस के लिए खुश होने का एक कारण हो सकता है कि उनका वोट बैंक यहां पर बड़ा है। कांग्रेस को इस बार 43.82 प्रतिषत वोट मिले हैं, जबकि 2023 के विधानसभा चुनाव में 25.71 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा का वोट प्रतिशत इस बार गिरकर 50.32 पर पहुंच गया है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 70.07 था। उस समय शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रत्याशी थे और वे मुख्यमंत्री भी थे। वे प्रचंड बहुमत से जीते थे।