
सीहोर। सीहोर नगर में श्रावण एवं अधिकमास के चलते जगह-जगह धार्मिक आयोजन कराए जा रहे हैं। मंदिरों में शिव अभिषेक, पूजा पाठ हो रहे हैं तोे वहीं कई जगह श्रीमद भागवत कथा, श्रीराम कथा, श्री शिवपुराण कथा सहित अन्य कथाओं का आयोजन भी कराया जा रहा है। इस दौरान ज्ञान की गंगा भी बहती हुई नजर आ रही है।
श्रीराम कथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है: पंडित अजय पुरोहित
श्रीराम कथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है। साथ ही यह मानव का सही मार्गदर्शन भी करती है। जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। उक्त विचार इंदौर-भोपाल हाईवे पर शहर के प्रतिष्ठित राय परिवार के तत्वाधान में क्रिसेंट ग्रीन में जारी संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन पंडित अजय पुरोहित ने कहे। उन्होंने शिव चरित्र का सुंदर वर्णन किया। मां पार्वती के जन्म, कामदेव के भस्म होने और भगवान शिव द्वारा विवाह के लिए सहमत होने की कथा सुनाई। पंडित श्री पुरोहित ने कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उसने भगवान शिव को छोड़कर समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था। भगवान शंकर के मना करने के बाद भी सती ने अपने पिता के यहां जाने की इच्छा जताई तो भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही। इसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गईं। पिता द्वारा भगवान शंकर के अपमान पर सती ने हवन कुंड में कूदकर खुद को अग्नि में समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के दूतों ने यज्ञ स्थल को तहस-नहस कर दिया। माता सती के अग्नि में प्रवाहित होने के बाद तीनों लोकों को भगवान शिव के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा।
श्रीमद्भागवत कथा जीवन की दिशा बदल देती है: पंडित चेतन उपाध्याय
21 लीटर फल के रस से भगवान शिव का अभिषेक-
भजन के माध्यम से जीवन को सार्थक बनाएं: पं हर्षित शास्त्री
सीहोर नगर में माहेश्वरी सामज के तत्वधान में माहेश्वरी मांगलिक भवन में ज्योतिष एवं भागवत सिंधु के पावन सानिध्य में चल रही कथा में व्यास पीठ से पंडित हर्षित शास्त्री ने कथा में बताया कि भगवान ने हमें शरीर दिया है तो इसे प्रभु के कार्य में लगाना चाहिए, क्योंकि सिर्फ मनुष्य योनि में ही भगवान के दर्शन और भजन करके जीव मात्र प्रभु को प्राप्त कर सकता है। 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि ही सबसे श्रेष्ठ है, जिसमें जीव प्रभु को प्राप्त कर सकता है। शास्त्री जी ने कहा की समस्त शास्त्रों का सार श्रीमद्भागवत महापुराण है। जब जन्म जन्मांतर के सारे पुण्य उदय होते हैं, तब जाकर कथा श्रवण करने का अवसर आता है। मनुष्य को चाहिए कि वह भगवान की भक्ति बिना किसी स्वार्थ के करें, क्योंकि भगवान को निष्काम भक्त सबसे प्रिय होते हैं। मीराबाई भगवान की बाल्यकाल से ही भक्ति करती थी। भगवान को ही प्रतिमा बना विवाह हो गया। उसके बाद भी भगवान को ही अपना सर्वस्व मानती रही और और जब मीराबाई के पति ने उसे जहर दिया तो वह जहर भी भगवान की कृपा से चरणामृत हो गया। आचार्य पंडित हर्षित शास्त्री ने कथा में महाभारत के चरित्रों का यह बखान करते हुए भीष्म स्तुति एवं सृष्टि की प्रक्रिया का वर्णन किया। इसमें भगवान नारायण द्वारा दिव्य ज्ञान उपदेश ब्रह्माजी को प्रदान किया गया। कथा में ब्राह्मण समाज पुरुष मंडल में अध्यक्ष दीपक शर्मा, प्रवीण तिवारी, सुनील दुबे ने श्रीमदभागवतजी एवं व्यास पीठ का पूजन कर पं. हर्षित शास्त्री का सम्मान किया। कथा में डॉ. सुरेश झवर, महेश हुर्कुट, प्रतिभा झवर, शोभा चांडक, गीता सोडानी एवं समस्त महिला मंडल एवं पुरुष मंडल उपस्थित रहे।