
रेहटी। मां बिजासन धाम सलकनपुर को मुख्यमंत्री की मंशानुरूप भव्यता प्रदान करने के लिए लगातार निर्माण एवं विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पर्यटन निगम द्वारा सलकनपुर के मेला ग्राउंड पर 102 दुकानों का निर्माण कार्य चल रहा है। इन निर्माण कार्य
अधिकारियों की नजर, लैब में टेस्टिंग का भी दावा-
सलकनपुर में चल रहे निर्माण कार्यों की जिला कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों द्वारा लगातार मॉनीटरिंग भी की जा रही है। इसी तरह पर्यटन विकास निगम के जिम्मेदारों द्वारा यह दावा भी किया जा रहा है कि मटैरियल को दो-दो बार लैब में टेस्टिंग के बाद ही उपयोग किया जा रहा है। जबकि सलकनपुर में मौके पर जो निर्माण सामग्री पड़ी हुई है वह बेहद घटिया स्तर की है। यहां पर जो रेत बुलाई जा रही है वह भसुआ रेत आ रही है। इसमें मिट्टी हुई होती है, जिसको निम्न स्तर की श्रेणी में माना जाता है। इससे होने वाले निर्माण कार्यों की समय-सीमा ज्यादा टिकाउ नहीं होती है। इसी तरह गिट्टी सहित अन्य सामग्री भी घटिया किस्म की उपयोग की जा रही है।
चर्चाओं में रहे हैं सलकनपुर में होने वाले निर्माण कार्य-
इससे पहले भी सलकनपुर में होने वाले निर्माण कार्य चर्चाओं में रहे हैं। सलकनपुर में मां बिजासन मंदिर के पास पहले जो कार्य कराया गया है। अब उस कार्य को निम्न श्रेणी का घोषित करके उसे रिजेक्ट कर दिया गया है। दरअसल मंदिर के पीछे नीचे की तरफ से बीम उठाकर पूरी जगह को कवर्ड किया गया है। इसमें रैलिंग लगाई गई है, लेकिन अब वहां पर श्रद्धालुओं एवं भीड़ को नहीं जाने दिया जाता है। उसे रैलिंग लगाकर पूरी तरह सील कर दिया गया है, क्योंकि उसके गिरने का खतरा बना हुआ है। इसी तरह वहां के अन्य निर्माण कार्य भी संदेह के घेरे में हैं।
26 करोड़ का प्रोजेक्ट, डेटलाइन जुलाई-23 तक-
इनका कहना है-
सलकनपुर में चल रहे निर्माण कार्य की सामग्री को लैब में टेस्ट किया जाता है। उसके बाद ही उसका उपयोग किया जा रहा है। निर्माण कार्यों का पर्यटन निगम के इंजीनियरों द्वारा लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। मैं खुद भी निरीक्षण करता हूं। मंदिर की दुकानें बनाई जा रही हैं, ऐसे में घटिया सामग्री का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
– ब्रजेश तिवारी, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, पर्यटन विकास निगम
सलकनपुर में चल रहे निर्माण कार्य के लिए टेस्टिंग लैब में सामग्री की जांच की जा रही है। विभाग के अधिकारियों एवं मंदिर समिति की निगरानी में कार्य चल रहा है। जिला अधिकारियों द्वारा भी लगातार कार्य का निरीक्षण किया जा रहा है। ऐसे में घटिया सामग्री का उपयोग करने का सवाल ही नहीं उठता।
– मनोज कुमार जैन, ठेकेदार, एमके इंजीनियर्स ग्रुप, भोपाल