सीहोर। सरपंच संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान पर बड़ी संख्या में सीहोर जिला संघ द्वारा अपनी तीन दर्जन से अधिक मांगों को लेकर संघ के जिलाध्यक्ष ऐलम सिंह दांगी के नेतत्व में सरपंचों ने भोपाल पहुंचकर पंचायत मंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। प्रदर्शन के दौरान सीहोर ब्लॉक अध्यक्ष नीरज परमार, इछावर ब्लॉक अध्यक्ष कैलाश पटेल, आष्टा ब्लॉक अध्यक्ष मनोहर पटेल, जावर अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, भैरुंदा ब्लॉक अध्यक्ष संतोष वर्मा एवं बुधनी ब्लॉक अध्यक्ष रिखीराम यादव आदि शामिल थे। इस दौरान सरपंच संघ की तरफ से 14 सूत्रीय मांगों को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया। हालांकि इस दौरान मंत्री प्रहलाद पटेल से सरपंचों की चर्चा भी हुई, लेकिन मांगों को लेकर कोई निर्णायक पहल नहीं हुई। इसके बाद सभी सरपंचों ने मुख्यमंत्री निवास की तरफ गूज किया, लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक लिया गया।
ये है सरपंचों की मांग, इसलिए खोला मोर्चा-
सरपंच संघ का आरोप है कि सरकार मनरेगा को धीरे-धीरे खत्म कर रही है। 1 जुलाई 2024 के ऑर्डर को निरस्त किया जाए। ये हमारा सांकेतिक धरना था। अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो प्रदेशव्यापी बड़ा आंदोलन किया जाएगा। दरअसल 2 जुलाई को गौतम टेटवाल ने बयान दिया था कि गांव में यदि गौ माता घूमते पाई गई या उन्हें कुछ नुकसान पहुंचता है तो उस पंचायत के सरपंच, जनपद सदस्य, पंचायत सहायक, पंचायत सचिव सब जिम्मेदार होंगे। गाय को कोई नुकसान पहुंचा तो सरपंचों को धारा 151 में जेल भेज देंगे। सरपंच राज्यमंत्री के इसी बयान से खफा हैं। उन्होंने अपने मांग पत्र में टेटवाल का इस्तीफा भी मांगा है। सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक हो। सरपंच संघ की मुख्य मांग है कि सरपंचों का मानदेय 15 हजार रुपये तक किया जाए। दरअसल अभी सरपंचों को 4250 रुपये मानदेय मिल रहा है। संघ का कहना है कि ये मानदेय बढ़ती महंगाई के दौर में न के बराबर है। इसलिये इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए। बता दें कि सरपंचों का मानदेय एक साल पहले ही बढ़ा है। जून 2023 तक सरपंचों को 1750 रुपये मिलते थे, जिसे जुलाई 2023 को तीन गुना तक बढ़ाकर 4250 रुपये कर दिया। सरपंच संघ का कहना है कि इसे बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाना चाहिए। इसके अलावा पेंशन की भी मांग की गई है।
मनरेगा का नया आदेश निरस्त करने की मांग –
1 जुलाई 2024 को मनरेगा का नया आदेश जारी किया गया। सरपंच संघ इसे निरस्त करवाने की मांग कर रहा है। दरअसल इस आदेश के लागू होने के बाद बनने वाले वित्तीय प्रबंधन से सरपंच संघ नाखुश है। मनरेगा के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि मजदूरी और मटेरियल के लिये खर्च होती थी।