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सीहोर : नेशनल लोक अदालत में 8 करोड़ 22 लाख 15 हजार 638 रुपए के 1935 प्रकरणों का हुआ निराकरण

सीहोर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर सीहोर जिला मुख्यालय सहित सभी तहसील न्यायालयों में वर्ष की प्रथम नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला न्यायालय में आयोजित नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष आरएन चंद ने किया। प्रधान जिला न्यायाधीश श्री चंद कहा कि नेशनल लोक अदालत त्वरित एवं सुलभ न्याय का अच्छा अवसर है। सभी लोगों को नेशनल लोक अदालत में आकर इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मुकेश कुमार दांगी ने नेशनल लोक अदालत से मिलने वाले त्वरित एवं सुलभ न्याय के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय सुमन श्रीवास्तव, प्रथम अपर जिला न्यायाधीश संजय कुमार शाही, द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश अशोक भारद्वाज, तृतीय जिला न्यायाधीश अभिलाष जैन, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्चना नायडू बोड़े एवं न्यायाधीशगण उपस्थित थे। राजीनामा करने वाले सभी पक्षकारों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पौधे भी वितरित किए गए।
1935 प्रकरणों का हुआ निराकरण-
नेशनल लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण के लिए 23 खंडपीठें गठित की गई है। उक्त खंडपीठों में नेशनल लोक अदालत में आपसी समझौते के आधार पर निराकरण कराए जाने के लिए न्यायालय में लंबित कुल 5300 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 492 प्रकरणों का निराकरण आपसी राजीनामा के आधार पर होकर समझौता राशि 5 करोड़ 75 लाख 79 हजार 419 रुपए जमा कराई गई। इसी प्रकार नेशनल लोक अदालत की खंडपीठ के समक्ष कुल प्रिलिटिगेशन के 17632 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 1443 प्रकरणों का निराकरण होकर समझौता राशि 2 करोड़ 46 लाख 36 हजार 219 रुपए जमा कराई गई। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत में कुल 8 करोड़ 22 लाख 15 हजार 638 रुपये के 1935 प्रकरणों का निराकरण किया गया। वर्ष की प्रथम नेशनल लोक अदालत में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग की भी लोक अदालत आयोजित हुई। इसमें उपभोक्ता फोरम के कुल 16 मामलों का निराकरण कर 9 लाख 9 हजार 832 रुपए समझौता राशि जमा कराई गई। प्रधान जिला न्यायाधीश श्री चंद ने तेरह लाख रुपए मोटर दुर्घटना के मामले का दो माह में समझौते के आधार पर नेशनल लोक अदालत के माध्यम से त्वरित निराकरण किया। आवेदिका शिवानी आदि वि. गोविंद आदि क्लेम प्रकरण क्रमांक 120/2022 आवेदिका शिवानी के पति की मृत्यु मोटर दुर्घटना में हो जाने के कारण दुर्घटना क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के लिए दावा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। नेशनल लोक अदालत में प्रधान जिला न्यायाधीश आरएन चंद ने अथक प्रयास एवं समझाइश से आवेदिका एवं बीमा कंपनी के मध्य सहमति के आधार पर राजीनामा कराकर रुपए 13 लाख रुपए के मामले का दो माह में समझौते के आधार पर नेशनल लोक अदालत के माध्यम से त्वरित निराकरण किया। इससे दोनों पक्षों के चेहरे पर मुस्कान की झलक देखी और खुशी-खुशी घर को विदा हुए। एक अन्य प्रकरण में आवेदक अनिल सिलावट वि. गोविंद आदि क्लेम प्रकरण क्रमांक 119/2022 आवेदक अनिल को आई मोटर दुर्घटना में चोटों के कारण दुर्घटना क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने हेतु दावा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। नेशनल लोक अदालत में प्रधान जिला न्यायाधीश आरएन चंद के अथक प्रयास एवं समझाइश से आवेदक एवं बीमा कंपनी के मध्य सहमति के आधार पर राजीनामा कराकर 2 लाख 10 हजार रुपए के मामले का दो माह में समझौते के आधार पर नेशनल लोक अदालत के माध्यम से त्वरित निराकरण किया गया, जिससे दोनों पक्षों के चेहरे पर मुस्कान की झलक देखी और खुशी-खुशी घर को विदा हुए।
अलग रह रहे दंपति को हार-फूल माला पहनाकर विदा किया-
वर्ष की प्रथम नेशनल लोक अदालत में आवेदिका शाहीना वि. अनावेदक वसीम खां के प्रकरण में उभयपक्ष की शादी 27 मई 2014 में हुई थी। विवाह के बाद दो बच्चों का जन्म हुआ। दोनों के मध्य अत्यधिक विवाद होने से दोनों वर्ष 2021 से अलग-अलग निवास कर रहे थे। दोनों के मध्य तलाक की स्थिति बन गई थी। आवेदिका ने स्वयं एवं बच्चों के भरण-पोषण के लिए कुटुम्ब न्यायालय सीहोर में प्रकरण लगाया था। उक्त विचाराधीन मामले में न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुमन श्रीवास्तव द्वारा दोनों पक्षों को कई बार समझाईश देकर उन्होंने प्रकरण में दोनो पक्षों की आपसी सहमति के आधार पर राजीनामा करवाया। दोनों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर एक-दूसरे से माफी भी मांगी। प्रकरण में राजीनामा होने से दोनों पक्ष खुश हुए और खुशी-खुशी विदा होकर घर लौटे। इसी प्रकार आवेदिका सीमा वि. अनावेदक गोविंद के प्रकरण में उभयपक्ष की शादी 7 मई 2019 में हुई थी। आवेदिका जब गर्भवती थी, तभी मार पीटकर अनावेदक ने उसे भगा दिया था। करीब ढाई वर्ष से आवेदिका मायके में रह रही थी। आवेदिका द्वारा भरण-पोषण हेतु एवं अनावेदक द्वारा साथ रखने के लिए प्रकरण लगाया था। उक्त विचाराधीन मामले में न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सुमन श्रीवास्तव द्वारा दोनों पक्षों को कई बार समझाईश देकर उन्होंने प्रकरण में दोनों पक्षों की आपसी सहमति के आधार पर राजीनामा करवाया। दोनों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर एक-दूसरे से माफी भी मांगी प्रकरण में राजीनामा होने से दोनों पक्ष खुश हुए और खुशी-खुशी विदा होकर घर लौटे। नेशनल लोक अदालत में भारी संख्या में प्रकरणों के निराकरण में पक्षकारों एवं अभिभाषक की उत्सुकता देखी गई। अधिकांश पक्षकार अपने प्रकरण का निराकरण समझौते के माध्यम से होने से चेहरे पर मुस्कान लेकर विदा हुए।

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