सीहोर : 251 मीटर की चुनरी यात्रा निकली, जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत, मातारानी का चढ़ाई
Sumit Sharma
सीहोर। हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के पांचवें दिन विशाल चुनरी यात्रा निकाली गई। श्रद्धालु 251 मीटर चुनरी लेकर माता के दरबार में पहुंचे। यहां पर माता को चुनरी अर्पित की गई। इस दौरान लोग डीजे साउंड पर नृत्य करते हुए रास्तेभर चलते रहे। चुनरी यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। यहां बता दें कि प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के दौरान हिंद रक्षक युवा समिति द्वारा यह यात्रा निकाली जाती है। कई वर्षों से चले आ रहे इस आयोजन में सभी क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और पूरी आस्था के साथ पदयात्रा करते हुए मां की आराधना करते है। हिंद रक्षक युवा समिति के अध्यक्ष नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर के तत्वाधान में भव्य चुनरी यात्रा निकाली जाती है। इस बार भी इसका आयोजन किया गया। विशाल चुनरी यात्रा शहर के प्राचीन करोली माता मंदिर की पूजा-अर्चना कर प्रारंभ हुई, जो शहर के कस्बा स्थित ईलाही माता मंदिर पर पहुंची एवं यहां पर यात्रा का समापन हुआ। करीब 251 मीटर लंबी एवं सितारों से जड़ी चुनरी आकर्षण का केंद्र रही। यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल थे। चुनरी यात्रा का विठलेश सेवा समिति सहित शहर के चौराहे-तिराहे पर बने संगठनों के मंचों से स्वागत किया गया। सुबह साढ़े दस बजे पूजा-अर्चना के बाद चुनरी यात्रा निकाली गई, जो सात घंटे बाद इलाही माता मंदिर पहुंची। यहां पर श्रद्धालुओं ने माता को चुनरी अर्पित की। चुनरी यात्रा में मराठी, गुजराती, राजस्थानी परिधनों में छोटी-छोटी कन्याओं ने गरबा, घूमरा आदि पर नृत्य की प्रस्तुति दी। यात्रा में भगवान शंकर, माता काली, राम, हनुमानजी सहित अन्य देवियों की झांकी सजाई गई थी। चुनरी यात्रा के मुख्य आकर्षण का केन्द्र कन्याएं एवं अखाडा, भूत मंडली, झंडे, गरबा, घूमर करती भव्य झांकिया रही। पिछले बारह सालों से हिंद रक्षक युवा समिति के तत्वाधान में नवरात्रि के पावन अवसर पर निकाली जाने वाली भव्य चुनरी यात्रा सीहोर शहर की पहचान बन गई है। यात्रा में पंडित दुर्गाप्रसाद कटारे, हरिदास महाराज, सतीश राठौर, मोहित पाठक, सीताराम यादव, बलवीर तोमर आदि शामिल थे। नपाध्यक्ष प्रिंस राठौर ने बताया कि चुनरी यात्रा का मुख्य उद्देश्य धर्म को जन-जन तक पहुंचाने के साथ सामाजिक समरसता के संकल्प को पूरा करना है। इसी उद्देश्य से हर वर्ष 251 मीटर से अधिक लंबी चुनरी-यात्रा मां शक्ति स्वरूप इलाई माता के चरणों में अर्पित की जाती है। इस बार भी मातारानी को चुनरी चढ़ाई गई है। इसमें नगर सहित आसपास के क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। विठलेश सेवा समिति के तत्वाधान में भव्य स्वागत – विठलेश सेवा समिति, जिला संस्कार मंच सहित अनेक सामाजिक संगठनों ने चुनरी यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया और कार्यक्रम के अध्यक्ष नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर को भव्य कार्यक्रम के सफलतम 12 वर्ष पूर्ण होने और ऐतिहासिक चुनरी यात्रा निकाले जाने पर स्मृति चिन्ह देकर सम्मनित किया गया। इस मौके पर विठलेश सेवा समिति की ओर से समीर शुक्ला, मनोज दीक्षित मामा, यश अग्रवाल, शुभम यादव, सौभाग्य मिश्रा, रविन्द्र नायक, बंटी परिहार, प्रकाश व्यास, प्रदीप राजपूत आदि शामिल थे। इधर अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस अध्यक्ष छुट्टन चावरिया के नेतृत्व में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी नगर पालिका अध्यक्ष विकास प्रिंस राठौर के नेतृत्व में निकली गई चुनरी यात्रा का पुष्प हारों से स्वागत किया गया। इस अवसर पर मनोहर लाल घावरी, अन्ना नरवारे, प्रकाश तेजी, मुकेश चावरिया, देवकुमार बोयत, अरूण चावरिया, देवकुमार दिसावरी, प्रकाश तेजी सुनील तेजी, लक्ष्मण भेरवे, राजकुमार पारोचे, लोकेश चावरिया, चन्दन तेजी, विजय चावरिया, राकेश बीलवान, बंकट खरे सहित बड़ी संख्या में नागरिकगण उपस्थित रहे। बताया चुनरी यात्रा का महत्व – समिति द्वारा पिछले 12 सालों से नवरात्रि के मौके पर चुनरी यात्रा निकाली जाती है। जगत जननी मां जगदम्बा को सितारों से जड़ी चुनरी विशेष रूप से प्रिय है। नवरात्रि मेें शहरवासियों की सुख-समृद्धि और विकास के लिए भव्य यात्रा की जाती है। इससे पहले समिति अध्यक्ष एवं नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने करोली वाली माता मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाओं को सुहाग की साम्रगी के साथ लाल साडिय़ों का वितरण किया। सैकड़ों की संख्या में महिलाएं शामिल रहीं। इसके अलावा गंज स्थित राधेश्याम मंदिर, इंदिरा नगर, कस्बा आदि में पहुंचकर भी विभिन्न संगठनों और महिलाओं के मध्य अपील की। नपाध्यक्ष श्री राठौर ने बताया कि चुनरी यात्रा का मुख्य उद्देश्य धर्म को जन-जन तक पहुंचाने के साथ सामाजिक समरसता के संकल्प को लेकर धार्मिक भावना से ओत-प्रोत सितारों से सजी 251 मीटर से अधिक लंबी विशाल चुनरी-यात्रा माँ शक्ति स्वरूपा इलाई माता के चरणों में अर्पित की जाती है।