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सीहोर: सुदाना पशु आहार संयंत्र के मैनेजर पर गड़बड़ी-भ्रष्टाचार के आरोप

- मनमानी करके कर्मचारियों को निकाला, अब आ गई श्रमिकों के भूखे मरने की नौबत

सीहोर। जिला मुख्यालय स्थित सुदाना पशु आहार केन्द्र इस समय मनमानी के चलतेे चर्चाओं में है। यहां के मैनेजर राजेश गोयल पर यहां के कर्मचारियोें ने गड़बड़ी एवं भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं, साथ ही यह आरोप भी लगाए कि जब से मैनेेजन यहां आए हैं उन्होेंने केंद्र में जंगलराज बना रखा है। वे अपनी मनमानी पर उतारू हैं और उन्होंने यहां से दो कर्मचारियोें को भी बाहर कर दिया है। कर्मचारी यह आरोेप भी लगा रहे हैैं कि यहां के मैनेजर के आगे कर्मचारी अपने आपको बेबस समझते हैं। किसी ने कुछ बोला तो कोई न कोई कमी निकालकर सैलरी काटकर परेशान किया जाता है। इसके बाद प्लांट से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। पीड़ित दो कर्मचारियों ने कहा कि आठ माह पहले उन्हें भी बिना किसी कारण के प्लांट से निकाल दिया गया। मुख्यमंत्री से शिकायत की तो उन्हें फोन पर धमकी मिल रही है कि शिकायत से क्या होगा। उनके परिवार के आगे भूखे मरने की नौबत आ गई है।
दो कर्मचारियोें को हटाया, अब दे रहे धमकी-
जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी इंदौर-भोपाल राजमार्ग पर स्थित सुदाना पशु आहार संयंत्र के मैनेजर ने मनमानी करते हुए दो कर्मचारियों को करीब आठ माह पहले बिना किसी कारण से नौकरी से हटा दिया था। इसके बाद से दोनों कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पिछले सप्ताह पीड़ित दोनों कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष भी अपनी गुहार लगाई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, सहित एमपीसीडीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को प्लांट से हटाए गए भोपाल सिंह वर्मा और ओमप्रकाश वर्मा ने शिकायत की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि वह पूर्व में कई सालों से पशु आहार संयंत्र में नौकरी कर रहे थे। करीब आठ माह पहले प्रभारी मैनेजर राजेश गोयल ने पचामा में स्थानांतरण होकर आने के साथ ही उन्हें नौकरी से हटा दिया गया।
शिकायत की तो मिली धमकी-
भोपाल और ओमप्रकाश ने मुख्यमंत्री के नाम की शिकायत में बताया कि हमने संयंत्र के मैनेजर से नौकरी पर वापस रखने के लिए आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने हमसे निवेदन के बदले अपशब्द कहे। हमने उनसे इस संबंध में प्रबंध संचालक, सीईओ और मंत्री के साथ-साथ प्राधिकृत अधिकारी के पास जाकर नौकरी पर वापस रखने के संबंध में निवेदन करने को कहा तो उन्होंने तत्काल इस बात का उत्तर यह कहकर दिया कि मेरे बच्चे विदेश में पड़ते हैं। मेरे पास अरबों की संपत्ति है। मैंने मंडी सचिव रहते हुए करोड़ों कमाकर बांट दिए। इसी प्रकार मेरी सुदाना पशु आहार से प्रतिमाह 15 लाख की कमाई है, जिसका हिस्सा ऊपर तक अधिकारियों तक जाता है। मुख्यमंत्री से शिकायत की तो उन्हें फोन पर धमकी दी जा रही है कि शिकायत से क्या होगा? जितनी नेतागिरी करना है कर लो।
मैनेजर की मनमानी से भूखे मरने का संकट-
मैनेजर की मनमानी के कारण संयंत्र से बिना कारण हटाए गए कर्मचारियों के परिवार भूखे मरने की कगार पर पहुंच गए हैं। कर्मचारियों की कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। वरिष्ठ अधिकारियों के पास चक्कर लगाने के बाद भी सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला है।
जमकर कर रहे हैं भ्रष्टाचार-
दोनों कर्मचारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पशु आहार संयंत्र का मैनेजर मनमानी और भ्रष्टाचार करने से कोई चूक नहीं कर रहा है। मैनेजर की मनमानी से प्लांट के सभी कर्मचारी भयजदा होकर काम कर रहे हैं। इसी प्रकार मैनेजर भ्रष्टाचार करते हुए जीर्ण-शीर्ण घोषित हो चुकी आफिस परिसर में स्थित कालोनी में ठेका श्रमिकों को किराए पर कमरे दे दिए हैं। इसी प्रकार कुछ आफिस ठेका श्रमिकों को गलत ग्रेड रेट (बड़े हुए रेट) से भुगतान किया जा रहा है, जो कि उसकी पात्रता नहीं रखते और उन्हें प्रबंधक के द्वारा कई महीनों से फायदा पहुंचाया जा रहा है, जबकि उनसे रिकवरी होना चाहिए।
इनका कहना है-
जिन कर्मचारियोें को हटाया गया है वे यहां पर कांट्रेक्ट आधार पर कार्य कर रहे थे। काम नहीं करने के कारण इन्हें पहले भी केंद्र से हटाया गया था। कई बार समझाईश भी दी गई, लेकिन इस समझाईश का उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। काम नहीं करनेे के कारण इन्हें फिर से हटाया गया है। जिन कर्मचारियोें को हटाया है उनके द्वारा लगाए जा रहे आरोपी पूरी तरह बेबुनियाद एवं निराधार हैं।
– राजेश गोयल, मैनेजर, सुदाना पशु आहार संयंत्र, पचामा, जिला-सीहोर

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