सीहोर: कांग्रेस नेता ने फिर साधा पंडित प्रदीप मिश्रा पर निशाना, चुनाव आयोग से की शिकायत
सीहोर। जिला कांग्रेस के पूर्व महासचिव पंकज शर्मा ने भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के नाम संबोधित एक ज्ञापन सीहोर अनुविभागीय दंडाधिकारी एवं सहायक रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय पहुंचकर सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से पंकज शर्मा ने बताया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगी होने के बावजूद सीहोर के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा लगातार अपनी कथाओं में व्यास पीठ से आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। इस बारे में कांग्रेस पार्टी द्वारा उनके खिलाफ 22 मई को भी एक शिकायत भारत निर्वाचन आयोग के पास की गई थी, जिसमें उनके द्वारा 6 मई को महाराष्ट्र के परतवाड़ा में आयोजित एक कथा में प्रधानमंत्री का नाम लेकर जनता से धर्म के नाम पर वोट देने की अपील की गई थी, उस समय कांग्रेस पार्टी द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने तक प्रदीप मिश्रा की कथाओं पर रोक लगाए जाने की मांग की गई थी, लेकिन उस समय कांग्रेस पार्टी की ये मांग नहीं मानी गई, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने 1 जून को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में आयोजित कथा में फिर प्रधानमंत्री का नाम लेकर धर्म के नाम पर वोट मांगे और चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास किया। सबसे दुखद तथ्य यह है कि उस समय चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की मतदान प्रक्रिया चालू थी, उस दिन 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश की 57 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे थे और उनकी ऐसी अपील से मतदान प्रभावित हुआ और धर्म के नाम पर उन्होंने ऐसा कर आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया। पंकज शर्मा ने कहा कि यदि हमारी मांग मानते हुए उसी समय चुनाव संपन्न होने तक प्रदीप मिश्रा की कथाओं पर रोक लगा दी जाती तो वो अंतिम चरण का मतदान प्रभावित ना कर पाते और धर्म के नाम पर वोटों का धुव्रीकरण सत्ता पक्ष की ओर ना होने से चुनाव निष्पक्षता से संपन्न हो जाता। ऐसा ना करते हुए हमारी मांग नहीं मानी गई और कथावाचक प्रदीप मिश्रा को मनमानी करने की खुली छूट दे दी गई, जिसका उन्होंने अनुचित लाभ उठाकर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था के मुंह पर तमाचा मारने का काम किया है। अब हमारी भारत निर्वाचन आयोग से यह मांग है कि वो कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को अपनी तथा देश के संविधान और लोकतंत्र की ताकत का अहसास कराते हुए उनके ऊपर दोनों मामलों में अलग-अलग आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज कर उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई करे, ताकि आगे से कोई भी धर्म के नाम पर वोट मांगने का साहस ना कर सके। दंड स्वरूप आगामी कुछ समय तक उनकी कथाओं पर रोक के साथ ही उनके तथा उनकी समिति के ऊपर जुर्माना जाए।
मुख्यमंत्री निवास में पार्टी की चुनावी बैठक करना नियम विरुद्ध –
जिला कांग्रेस के पूर्व महासचिव पंकज शर्मा ने एक अन्य शिकायत करते हुए कहा कि वर्तमान में पूरे देश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील है और इस समय राज्य और केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों सहित प्रधानमंत्री से भी सभी प्रकार की सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाती हैं। उन सभी के सरकारी वाहन, स्टॉफ आदि की सुविधा सहित किसी भी शासकीय वस्तु के उपयोग की पात्रता उनको आचार संहिता के दौरान नहीं होती है, यहां तक कि शासकीय विश्राम गृह का उपयोग करने पर भी उनको नियमानुसार किराए का भुगतान करना होता है। उनसे केवल शासकीय आवास खाली नहीं कराया जाता, क्योंकि इससे सामान को बार-बार रखने और निकालने में उनको समस्या ना हो लेकिन इस दौरान उनको शासकीय आवास का पार्टी की चुनावी बैठकों के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती है और इन नियमों का पालन चुनाव आयोग सख्ती से करवाता है। इनका पालन न करने पर संबंधित पर आचार संहिता उल्लंघन की कार्रवाई चुनाव आयोग द्वारा की जाती है। पंकज शर्मा ने कहा कि मप्र में ऐसा एक मामला मुख्यमंत्री मोहन यादव से संबंधित है, जिसमें उन्होंने आचार संहिता लगी होने के बावजूद 29 मार्च को ना केवल मुख्यमंत्री निवास में भाजपा की चुनाव संबंधी 2 बैठकें लीं, बल्कि इससे संबंधित फोटो भी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करते हुए खुलेआम आचार संहिता उल्लंघन करते हुए चुनाव आयोग के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई। मुख्यमंत्री निवास एक शासकीय संपत्ति है और आचार संहिता के दौरान उसका उपयोग पार्टी की बैठकों हेतु नहीं किया जा सकता। पंकज शर्मा ने बताया कि इसके अलावा एक और मामले में आचार संहिता के दौरान ही मप्र के राजगढ़ जिले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पटवारियों को कलेक्टर का बाप बताते हुए अशोभनीय टिप्पणी की थी, जो कि आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आती है। पंकज शर्मा ने कहा कि क्योंकि कलेक्टर अभी चुनाव आयोग के अधीन होकर जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं और पटवारी भी चुनाव आयोग के नीचे ही काम कर रहे हैं, ऐसे में जिला निर्वाचन अधिकारियों के विरुद्ध ऐसी अशोभनीय टिप्पणी आचार संहिता का खुला उल्लंघन है और इस मामले में भी उन पर आचार संहिता उल्लंघन की धाराओं में मुकदमा कायम किया जाना चाहिए।