विवाद के बाद सीहोर कांग्रेस मौन!

सीहोर। एक सितंबर को जिला मुख्यालय पर घटित हुए राजनीतिक घटनाक्रम ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं को सोशल मीडिया पर मौन कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस के कुछ नेता सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार सत्ताधारी दल भाजपा की परेशानी बने हुए थे। लेकिन एक पखवाड़े पूर्व मुख्यालय पर घटित हुए घटनाक्रम के बाद से यह मुखर नेता सोशल मीडिया पर मौन हो गए हैं।
बता दें बीते 1 सितंबर सोमवार को सीहोर के बस स्टैंड पर बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल गांधी के एक बयान को लेकर आमने सामने आ गए थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान दोनों पक्षों के बीच बहस और धक्का मुक्की हुई थी। इस दौरान बीजेपी कार्यक्रता विधायक सुदेश राय, जिलाध्यक्ष नरेश मेवाड़ा और नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस विकास राठौर के नेतृत्व में कोतवाली थाने पहुंचे थे और कांग्रेस कार्यकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
बयानबाजी का भी दौर चला
घटना के बाद पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ने वीडियो जारी कर सीहोर राजनीति के इतिहास में काला दिवस बताया। उन्होंने कहा था कि आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने सार्वजनिक रूप से ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। पूर्व विधायक सक्सेना ने कहा कि इस अशोभनीय से न केवल विधायक के संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि उन दो लाख मतदाताओं की भावनाओं को भी गहरा आघात लगा है जिन्होंने उन्हें चुना है।
50 साल पुराने संबंधों का हवाला
पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ने कहा था राय परिवार के साथ मेरे 50 साल पुराने संबंध हैं। चारों भाई मुझे बड़े भाई मानते हैं। एक बड़े भाई की हैसियत से कहता हूं विधायक श्री सुदेश राय को संयम बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति कुछ मापदंडों के अनुसार ही की जानी चाहिए और व्यक्तिगत जीवन की शुचिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
भांजे राजकुमार ने किया था पलटवार
इधर पूर्व विधायक रमेश सक्सेना के इस बयान के बाद युवा नेता राजकुमार जायसवाल ने पलटवार किया था। उन्होंने भी वीडियो जारी कर कहा था कि शेर की एक दहाड़ से छुपे हुए लोग बाहर निकल आए हैं। श्री जायसवाल ने पूर्व विधायक रमेश सक्सेना का नाम लिए बगैर कहा कि उन्हें राजनीतिक शुचिता का ज्ञान शोभा नहीं देता। राजकुमार ने कहा कि कोतवाली में उनके पुत्र और समर्थकों द्वारा उत्पात मचाया था साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री के लिए श्यामपुर में लगाए गए नारे भी सभी को याद है।
हर एक कार्यकर्ता परिवार का हिस्सा
श्री जायसवाल ने कहा था कि अगर वास्तव में संस्कार और संस्कृति की चिंता होती तो वह कांग्रेस के उस जिला प्रवक्ता को रोक चुके होते, जिसने उनके गुरुदेव के बारे में अनाप शनाप लिखा और बोला था। राजकुमार ने कहा कि विधायक सुदेश राय के लिए हर एक कार्यकर्ता परिवार का हिस्सा है और अगर परिवार के किसी भी सदस्य पर आंच या हमला होगा, तो ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा।
कांग्रेस दो बार कर चुकी प्रयास
बीजेपी की ओर से एफआईआर दर्ज होने के बाद कांग्रेस ने भी प्रयास किए। कांग्रेस विवाद वाले ही दिन कोतवाली थाने पहुंची थी और आवेदन की मांग की थी, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी थी। कांग्रेस ने तीन दिन की चेतावनी थी, लेकिन बेअसर हुई। कांग्रेस ने चार दिन पहले पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर एएसपी सुनीता रावत को ज्ञापन सौंपा, जिसमें सात दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। लेकिन कांग्रेस के यह प्रयास अफसर ही साबित हुए।
कांगे्रस के बड़े नेता मौन
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे रोचक बात यह है कि कांग्रेस के प्रादेशिक नेता, जिनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित अनेक नेताओं ने मौन धारण किया हुआ है, हालांकि प्रदेश प्रवक्ता शैलेन्द्र पटेल, केके मिश्रा, पीसी शर्मा सहित कुछ अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर सीहोर की घटना का जिक्र किया है। बड़े नेताओं की चुप्पी की वजह से सीहोर जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में मनोबल में कमी नजर आ रही है।