
सीहोर। बंद मुट्ठी लाख की, खुल गई तो खाक की… ये कहावत इस समय सीहोेर जिला कांग्रेस पर पूरी तरफ सटीक बैठ रही है। हालांकि कांग्रेस की मुट्ठी एक हाथ की यूं तो हमेशा ही खुली रहती है, मगर चुनावी साल में दोनोें मुट्ठी खुल गई हैं। इसका नतीजा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओें के पुतले दहन के रूप में सामने आ रहा है।
नियुक्तियोें के बाद शुरू हुआ असंतोेष-
सीहोर जिला वैसे तो भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है। वर्तमान में भी यहां की सभी विधानसभा भाजपा के कब्जे में हैं। इसके अलावा जिले की नगर पालिका, नगर परिषदों पर भी भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है। यहां पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष डॉ. बलवीर सिंह तोेमर पर यह आरोप भी लग चुके हैं कि वे भाजपा के एजेेंट हैं, लेकिन उसके बाद ही यहां पर उनको फिर से जिलाध्यक्ष रिपीट कर दिया गया। अब जब सीहोर जिले में ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों की नियुक्तियां हुईं तो ऐसे नेताओें को ब्लॉक कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया, जिनका नियुक्तियोें के बाद से ही लगातार विरोध हो रहा है। बुदनी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र यादव को भी यहां केे नेता, कार्यकर्ता नहीं पचा पा रहे हैैं। वे मैदान में भी नहीं है, जबकि चुनावी साल में पदाधिकारियों को मोर्चें पर होना चाहिए। ऐसी स्थिति में कांग्रेस का भविष्य क्या होगा ये तोे चुनाव तय करेंगे, लेकिन वर्तमान में सीहोेर जिले मेें कांग्रेस नेताओें, कार्यकर्ताओें का असंतोेष जमकर सामने आ रहा है।
दो धड़ों में बंटी कांग्रेस-
बुदनी में भी हो रही आपसी कलह-
बुदनी में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र यादव कोे नियुक्त किया गया, लेकिन उनकी इस नियुक्ति सेे वहां के कई कांग्रेस नेता खफा हैं। यह मैसेज भी उपर पर पहुंचा दिया गया है। राजेेंद्र यादव की नियुक्ति के बाद से ही कई नेता, कार्यकर्ता घरों में बैठ गए हैं। चुनावी साल में भी कांग्रेस अपने नेेता, कार्यकर्ताओें को घर से बाहर नहीं निकाल पा रही है। बुदनी विधानसभा के कई वरिष्ठ नेता, जो आस लगाए बैठेे थेे कि उनकेे समाप्त होेतेे राजनीतिक जीवन से पहले उन्हें कोई जिम्मेदारी सौैंपी जाएगी तो उन्हें भी निराश होकर घर ही बैठना पड़ा है। अब ऐसी स्थिति में कांग्रेस केे अंदरखाने जमकर कलह मची हुई है।