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सीहोर : सब रहे मस्ती में चूर, पानी का संकट कोई नहीं कर पाया दूर

सीहोर नगर पालिका परिषद में भाजपा-कांग्रेस दोनों रहीं, लेकिन समस्याएं जस की तस

सीहोर। सीहोर नगर पालिका परिषद में समय-समय पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के अध्यक्ष पद रहे हैं। पूरी परिषद पर दोनों दलों का कब्जा रहा है, लेकिन सीहोर की मूलभूत समस्याओं पर ज्यादा अमल नहीं हुआ। यही कारण है कि समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। हर चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपने-अपने वार्डों में लोगों की मूलभूत समस्याओं को दूर करने का वादा करते हैं, क्षेत्र की पेयजल की समस्या को दूर करने का भी भरोसा दिलाते हैं। बरसात के दिनों में क्षेत्रों में पानी भराव की समस्या से भी निजात दिलाने की बात करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी इन समस्याओं पर गौर नहीं करता है। इस बार भी वार्डों में पहुंच रहे भाजपा, कांग्रेस सहित निर्दलीय प्रत्याशी वादे तो कई कर रहे हैं, लेकिन इनके वादे कब पूरे होंगे यह तो वे भी नहीं जानते।
सीहोर नगर में हमेशा से पेयजल की किल्लत रही है। गर्मी के दिनों में तो पांच-पांच दिनों में लोगों को पीने का पानी नसीब होता है। ठंड के दिनों में भी एक ही टाईम पानी मिलता है। यह समस्या सीहोर की सबसे बड़ी समस्या है। हर बार पेयजल की किल्लत को दूर करने के वादे तो कई किए जाते हैं, लेकिन ये वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं। गर्मी के दिनों में यहां पर पीने के पानी की किल्लत रहती है तो वहीं बरसात के दिनों में भी सीहोर नगर की कई कॉलोनियों एवं घरों में बरसात का पानी भरा जाता है। इसके कारण लोगों को कई तरह की परेशानियां आती हैं।
इस बार जनता की नजर सब पर है-
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। प्रत्याशी घर-घर, गली-गली घूमकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वे लोगोें से वोट मांगने के बदले में उनकी समस्याओं को दूर करने की बात भी कर रहे हैं, लेकिन इस बार आम नागरिकों की नजर सब पर है। इस बार युवाओं की सोच है कि जो उनके वार्डों का विकास करेगा उसे ही वे चुनकर लाएंगे। प्रत्याशियों के वायदों को रिकार्ड भी किया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर उनके वादों को याद दिलाया जा सके।
जलस्त्रोतों पर ध्यान नहीं-
नगर पालिका परिषद ने सीहोर नगर में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए नगर में ट्यूबबेल सहित आसपास के तालाबों को भी अपने कब्जे में करके रखा है, लेकिन उनको संरक्षित नहीं किया जा रहा है। शहर में कई ट्यूबवेल लगवाए गए हैं। शहर की जीवनधारा सीवन नदी भी अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रही है। पूरी नदी जलकुंभी से पटी पड़ी है, लेकिन नगर पालिका द्वारा इसकी सफाई को लेकर कोई पहल नहीं हुई है। इसी तरह मकान निर्माण के समय घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाना अनिवार्य किया गया है, लेकिन इस तरफ भी ध्यान नहीं है। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नए बनने वाले सभी मकानों में अनिवार्य है। इसके बिना परमीशन भी नहीं दी जाती है, लेकिन कितने घरों में यह सिस्टम लगाए जा रहे हैं, इसका कोई डाटा उपलब्ध नहीं है।

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