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Sehore News : मित्रता में दोनों तरफ से नि:स्वार्थ प्रेेम होना आवश्यक है : पंडित संजय शर्मा

सीहोर। संसार में सच्चे मित्र आसानी से नहीं मिलते। मित्रता में दोनों तरफ से नि:स्वार्थ प्रेम होना आवश्यक है। श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता इसका जीवंत उदाहरण है। सच्ची मित्रता तो वह है, जो विषम परिस्थितियों में भी साथ रहे। मित्रता में स्वार्थ नहीं होना चाहिए तभी मित्रता लंबे समय तक चलती है। हमें कोई भी कितना ही भ्रमित क्यों न करे, वह जीवात्मा और परमात्मा के अस्तित्व को नकार नहीं सकता और कहीं प्राण देने की अपेक्षा ईश्वर की खोज में मरना बहुत अच्छा है। उक्त विचार शहर के अवधपुरी स्थित एडवोकेट विजय अग्रवाल के निवास पर जारी सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक पंडित संजय शर्मा ने कहे। उन्होंने कहा कि सुदामा ने अत्यंत गरीबी देखी परंतु प्रभु को नहीं त्यागा, उसका परिणाम उसे प्रभु के दर्शन मिले और तीनों लोकों की संपदा भी प्रभु ने तीन मुठ्ठी चावलों के बदले उसे प्रदान कर दी। कृष्ण-सुदामा प्रसंग की कथा बड़ा सार्थक संदेश देती है। कितनी ही विपत्ती आए प्रभु का साथ न छोडेÞ। जीव मात्र की यह दशा है कि अगर जरा भी मनके अनुकूल नहीं हुआ, भगवान पर नाराज हो जाते हैं, परंतु सुदामा पर घोर संकट आए, बच्चे भूखे रहे, पत्नी ने उलाहना दिए, परंतु निष्काम भाव से वे कृष्ण ध्यान में लगे रहे। भगवान ने भी मन ही मन सुदामा के आने का कारण को जानकर देव दुर्लभ संपति उन्हें प्रदान कर दी और संसार में मित्रता की मिसाल रखी। मित्र वहीं होता है जो हमें सही समय पर साथ देता है। शहर के चाणक्यपुरी में जारी सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा का समापन किया गया। इस मौके पर अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आरती की।

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