Sehore News: सीएम की फटकार भी बेअसर… सीहोर जिले में बनी हुई है पानी की किल्लत
जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर ग्राम चंदेरी की स्थिति
सीहोर। जिला मुख्यालय से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम चंदेरी इन दिनों पानी की किल्लत के चलते सुर्खियों में हैं। यहाँ के लोगों को दूर-दूर से पीने का पानी लेकर आना पड़ रहा है, जबकि पानी की किल्लत को लेकर लगातार अधिकारियों को जहाँ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) समझाईश दे रहे हैं तो वहीं वे फटकार भी लगा चुके हैं। इसके बाद भी सीहोर (sehore) जिले के जिम्मेदार अधिकारी लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रहे हैं। पानी की किल्लत को लेकर जहां जिला मुख्यालय पर परेशानियां हैं तो वहीं आसपास के गांवों में भी लोगों को पानी के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ रहा है। सीहोर से करीब 5 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम चंदेरी भी इन दिनों पानी की कमी से जूझ रहा है। चंदेरी की त्रिवेणी नदी में ग्रामीण झिरी खोदकर पानी निकाल रहे हैं और फिर इसी पानी को छानकर पीने के लिए मजबूर हैं। ये नदी भी गाँव से दूर है और महिलाओं, बच्चों को 44 डिग्री में यहाँ से पानी लेकर आना पड़ रहा है।
पानी के लिए पानी की तरह बहाया जा रहा है पैसा-
ग्रामीणों को पानी मिले उनके घरों तक पानी पहुंचे, इसके लिए सरकार नल-जल योजना सहित कई अन्य योजनाओं पर पानी की तरह पैसा बहा रही है। हर साल लाखों-करोड़ों रुपए इन योजनाओं में लगाए जा रहे हैं। इसके बाद भी लोगों को पीने के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। दरअसल सीहोर जिला इस समय पानी को लेकर ज्यादा सुर्खियों में है। पिछले दिनों एक शिकायत पर मुख्यमंत्री ने पीएचई के वरिष्ठ अधिकारियों, संभागायुक्त, कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों की सुबह से ही क्लास लगा दी थी। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए और सुबह से मैदान में उतरे और शाम तक पानी की व्यवस्था भी कर दी। लेकिन इस फटकार का असर अब उतर गया है।
गर्मी में पानी नहीं, बाकी समय पीते हैं जहरीला पानी-
चंदेरी के ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी के दिनों में तो उन्हें बमुश्किल से पीने के लिए पानी मिल पाता है। दूर-दूर से लेकर पानी आना पड़ता है और बाकी के दिनों में भी गांव में जहरीला पानी पीना पड़ता है। दरअसल गायत्री पनीर फैक्ट्री के केमिकल के कारण चंदेरी गांव का पानी भी दूषित हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई राजनेताओं और प्रतिनिधियों ने चुनाव के समय इस इलाके की पेयजल समस्या के समाधान का वादा तो किया, लेकिन चुनाव के बाद वे सभी वादे भूल जाते हैं।