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Sehore News : आयोग का सीएमएचओ को फरमान, तीन सप्ताह में बताएं लापरवाही का कारण

मानव अधिकार आयोग ने कई मामलों में लिया संज्ञान, किया जबाव तलब

सीहोर। जिले का स्वास्थ्य विभाग यूं तो हमेशा ही चर्चाओं में रहता है। इसकी चर्चाएं लगातार लापरवाही एवं अराजकता के कारण ज्यादा होती है। इस बार भी स्वास्थ्य विभाग चर्चाओं में बना हुआ है। अब मानव अधिकार आयोग ने सीहोर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को फरमान दिया है कि वे तीन सप्ताह में बताएं कि जिला अस्पताल में लेडी डॉक्टर की लापरवाही से एक नव प्रसूता की मौत क्यों हुई।
पिछले दिनों जिला अस्पताल सीहोर में एक लेडी डॉक्टर की लापरवाही से एक नव प्रसूता की मौत हो जाने से उसके परिजनों द्वारा जमकर हंगामा किया गया था। नव प्रसूता का शव पीएम कक्ष में रखा गया था, लेकिन परिजन लेडी डॉक्टर पर कार्यवाही होने के बाद ही पीएम कराने की जिद पर अड़े थे। इसके बाद एसडीएम के समझाने पर ही वे माने। अब इस मामले में मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीहोर से तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
इन मामलों में भी हुआ जबाव-तलब-
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में कड़कड़ाती ठंड से बचाव को लेकर नगर निगम द्वारा अब तक मुसाफिरों के लिए बचाव की व्यवस्था प्रारंभ नहीं करने संबंधी एक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम की दीनदयाल परियोजना में 17 रैनबसेरों, उनके ऊपर 7 प्रबंधक इमरजेंसी में व्यवस्था करने के लिए नियुक्त किए हैं। इसके बाद भी रात में लोग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड अस्पतालों सहित सार्वजनिक स्थानों पर खुले में रात गुजार रहे हैं। इधर प्रदेश में कैदियों के साथ भेदभाव होने और कड़ाके की ठंड में सिर्फ सेंट्रल जेलों के कैदियों को ही कैंटीन की सुविधा मुहैया होने संबंधी एक रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक जिला जेलों एवं उपजेलों के कैदियों को कंबल, बीमारी में पौष्टिक खाने से लेकर तेल-साबुन के लिए तरसना पड़ रहा है। वह भी तब, जब जेल मैन्युअल में ही विचाराधीन कैदियों के लिए सुविधाएं दी गई हैं। आयोग ने भोपाल के हमीदिया अस्पताल में सात दिनों से एंटी रैबीज इंजेक्शन न होने से मरीजों को 3000 से 4500 रुपए में मिलने वाला इंजेक्शन बाहर से खरीदने के लिए मजबूर होने, भोपाल पुलिस द्वारा की गई मारपीट के कारण एक संविदा स्वास्थ्यकर्मी दीपक सक्सेना के लकवाग्रस्त हो जाने और उसके सिर में भी गंभीर चोट आने की घटना, भोपाल के जेपी अस्पताल में एक्सपायर्ड दवाओं के छह महीने बाद भी दवा स्टोर में होने, भोपाल शहर के रायसेन रोड स्थित लाला लाजपतराय कालोनी में एक फाउण्टेन के ढेड़ साल से बंद होने के कारण इसमें जमा पानी के कारण दुर्गंध उठने और मच्छरों की तादाद बढ़ने के कारण निवासियों के डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का शिकार होने, भोपाल शहर के अयोध्यानगर थाना क्षेत्र स्थित नरेला संकरी में छह साल की एक मासूम बच्ची की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाने के मामले सहित प्रदेश के अन्य जिलों की घटनाओं पर भी संज्ञान लेकर कलेक्टर-एसपी सहित अन्य अधिकारियों से जबाव तलब किया है।

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