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Sehore News : मूसलाधार बारिश के बीच जोर-शोर से मनाया गुरूपूर्णिमा का पर्व

- सीहोर जिलेभर में जगह-जगह हुए दीक्षा समारोह, कुबेरेश्वर धाम में पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं ने ली पंडित प्रदीप मिश्रा से दीक्षा

सीहोर। जिलेभर में गुरूपूर्णिमा का पर्व मूसलाधार बारिश के बीच में जोर-शोर से मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह दीक्षा समारोह का आयोजन भी हुआ। शिष्यों ने उफान पर चल रहे नदी, नालों को पार करके गुरू की शरण में पहुंचकर उनका पूजन किया। सीहोर के नजदीकी कुबेरेश्वर धाम में लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने पंडित प्रदीप मिश्रा से गुरूदीक्षा ली और उनका पूजन किया। सीहोर के अवधपुरी में महामंडलेश्वर यशोदानंद महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान पंडित अजय पुरोहित से कई लोगों ने दीक्षा ली तो वहीं उन्होंने अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया। जिले की रेहटी तहसील के रमघढ़ा स्थित रूद्रधाम पर भी गुरूपूर्णिमा के अवसर पर शिष्यों ने 1008 श्री बजरंगगिरी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया एवं उनका पूजन भी किया। इसके अलावा सलकनपुर, अमराझिरी में भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ। भैरूंदा तहसील के छीपानेर, गुलरपुरा, वासुदेव, सातदेव, सहित अन्य आश्रमों में भी गुरूपूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।

गुरु शब्द का अभिप्राय अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाला है: पंडित प्रदीप मिश्रा
इंसान से नहीं ईश्वर से जुडऩे का प्रयास करें, सच्चा गुरु वही है जो आपको सत्संग और पवित्र विचारों से भगवान की ओर ले जाए, शिवालय-देवालय की ओर ले जाए, गुरु शब्द का अभिप्राय है अंधेर से उजाले की ओर ले जाने वाला, हमारे देश में परम्परागत से गुरु व्यासजी सहित 88 हजार गुरुओं की परंपरा रही है। वैसे मनुष्य जीवन में चार गुरुओं का महत्व है। उक्त विचार कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में रविवार को एक दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव के दौरान गुरु चर्चा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। इस मौके पर विधायक सुदेश राय, वरिष्ठ समाजसेवी अरुणा राय सहित अनेक श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। रविवार को एक दिवसीय गुरु पूर्णिमा का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर सुबह भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने मंदिर परिसर में लाखों श्रद्धालुओं के मध्य आरती की ओर उसके पश्चात सुबह नौ बजे से गुरु दीक्षा का भव्य कार्यक्रम और भंडारे का आयोजन देर रात्रि तक जारी रहा। इस मौके पर विठलेश सेवा समिति के व्यवस्थापक समीर शुक्ला, पंडित विनय मिश्रा, आशीष वर्मा, मनोज दीक्षित मामा, पंडित शिवम मिश्रा, आकाश शर्मा आदि ने यहां पर आने वाले करीब तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं को पेयजल के अलावा प्रसादी का वितरण किया। उन्होंने कहा कि मानव जीवन तभी सार्थक है जब वह परमात्मा को जानने में अपनी ऊर्जा खत्म करे, क्योंकि भक्ति ज्ञान के बिना हम किसी से प्रेम नहीं कर सकते। परम ब्रम्ह का दर्शन कर ही आत्मा का परमात्मा से मेल संभव है। ईश्वर की प्राप्ति मनुष्य जीवन में संभव है, अन्य जन्मों में नहीं। मनुष्य को एकाग्रता से ईश्वर का नाम सिमरना चाहिए। वर्तमान में मानव ईश्वर की प्राप्ति के लिए सरल से सरल साधन ढूंढने के प्रयास में रहता है। भक्ति बिना ईश्वर की कामना करना असंभव है। इसके लिए सच्चे मन से तप की आवश्यकता है। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि मानव की देह हमें पुण्य से प्राप्त होती है और इस जीवन को सार्थक करना है तो सद्गुरु के पास जाए, गुरु वह तत्व है, जो अज्ञान के स्वरूप में फैले अंधेरे का नाश करके ज्ञान के तेज का प्रकाश फैलाता है। ऐसे सद्गुरु का आशीष और सान्न्ध्यि पाने के लिए गहरी चाहत और उनके चरणों में अपना सर्वस्व समर्पण करने की आतुरता आवश्यक है। जो मनुष्य सद्गुरु के श्रीचरणों में भक्तिपूर्वक स्वयं को न्यौछावर करने की इच्छा लिए आगे बढ़ते हैं, वे ही गुरु के आशीर्वाद का सच्चा आनंद पाते हैं।

गुरु महिमा के साथ शिष्य का किया बखान –
सीहोर के अवधपुरी में महामंडलेश्वर यशोदानंद महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान पं. अजय पुरोहित ने अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया और इसके बाद प्रवचन दिए। कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक चला। इस बीच भंडारे का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर सुबह ग्यारह बजे से विश्व धर्म संसद सार्व भोभम सनातन धर्म महासभा के अध्यक्ष महामंडलेश्वर द्वारा गुरुदेव चरण वंदन पूजन का आयोजन किया गया। इसके बाद गुरु सत्संग, भजन चालीसा पाठ और दोपहर साढ़े बारह बजे से भोजन प्रसादी का आयोजन किया गया। व्यास पीठ से महामंडलेश्वर ने गुरु महिमा के बारे में बताया। इसके साथ ही उन्होंने शिष्य के सामर्थ के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि कई शिष्यों ने गुरुओं की कीर्ति को बढ़ा दिया। हनुमान और सूर्य के गुरु शिष्य उदाहरण के साथ ही उन्होंने शिष्यों के सामर्थ्य के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र के अलावा अन्य प्रदेशों के श्रद्धालु भी पं. अजय पुरोहित आशीर्वाद और दीक्षा लेने पहुंचे। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर, कांग्रेस नेता शशांक सक्सेना, सुदीप प्रजापति के अलावा मध्यप्रदेश के अन्य जिलों से भी एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भव्य आयोजन में आकर दीक्षा प्राप्त की।

नदी-नाले रहे उफान पर, नहीं पहुंच सके गुरू के पास शिष्य –
जिले की रेहटी तहसील के रमघढ़ा स्थित रूद्रधाम पर गुरूपूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ, लेकिन यहां पर हजारों की संख्या में शिष्य बारिश के कारण उफान पर चल रहे नदी, नालों मेें फंसे रहे। कई लोग गुरूदीक्षा कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। इसी तरह अमराझिरी, सलकनपुर सहित अन्य स्थानों पर भी लोग नहीं पहुंच सके।

जिसके जीवन में गुरु नहीं वह प्राणी नेत्रहीन है: पं मोहितरामजी
सात समुंदर की स्याही बनकर भी गुरु गुण लिखा जाए तो भी कम पड़ जाता है, क्योंकि गुरु एक शरीर नहीं संस्कार, संस्कृति, अज्ञानता का मूल नाश करने वाला सूर्य है, इसलिए जीवन में गुरु होना अति आवश्यक है। उक्त उद्गार गुरु पूर्णिमा महोत्सव के पावन अवसर पर पंडित दुर्गा प्रसाद जी कटारे बाबा के सानिध्य में श्रीमाधव महाकाल आरोग आश्रम पर कथा व्यास पंडित मोहितरामजी पाठक ने व्यक्त किए। प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी पूज्य संत पंडित दुर्गा प्रसादजी कटारे बाबा के संचालन में एवं कथा व्यास पंडित मोहितरामजी पाठक के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव श्रद्धालुगण शिष्य मंडल आश्रम परिवार द्वारा भव्य रूप से मनाया गया। सर्वप्रथम गौ माता का पूजन कर भगवान का अभिषेक पूजन-हवन के उपरांत गुरुदीक्षा समारोह एवं भंडारा प्रसादी प्रारंभ हुआ।

आश्रम में हर्षाेउल्लास से मनाया गया गुरू पूर्णिमा महोत्सव
गुरू की चरण वंदना कर सैकड़ों शिष्यों ने गुरू का आशीर्वाद लिया। गणेश मंदिर स्थित आश्रम में गुरू पूर्णिमा महोत्सव के रूप में हर्षाेउल्लास से मनाया गया। श्रीयोग वेदांत सेवा समिति एवं महिला उत्थान मंडल द्वारा आयोजित भंडारे में अनेक श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। साधक-साधिकाओं द्वारा सत्संग, भजन-कीर्तन, प्रवचन, पूजन, हवन में हिस्सा लिया गया। प्रतिवर्षानुसार पारंपारिक रूप से गुरू पूर्णिमा महोत्सव के अंतर्गत आश्रम में जिलास्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्रीयोग वेदांत सेवा समिति अध्यक्ष केके विश्वकर्मा के मार्गदर्शन में शिष्यों के द्वारा गुरू पादुका और मानस पूजन किया गया। बड़ी संख्या में आश्रम पहुंचे शिष्यों ने सत्संग भजन कीर्तन के माध्यम से गुरूकृपा का गुणगान किया।

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