Sehore News : भारी पड़ी धोखाधड़ी, 24 करोड़ 26 लाख का जुर्माना और 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास

- निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर पैसा हड़पने वाली बीएन ग्रुप ऑफ कम्पनीज के डायरेक्टर व अन्य आरोपियों को सीहोर की विशेष न्यायालय ने सुनाई सजा

सीहोर। सीहोर की विशेष न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार शाही ने धोखाधड़ी कर पैसे हड़पने वाली बीएन ग्रुप ऑफ कम्पनीज के डायरेक्टर एवं अन्य आरोपियोें को 24,26,40,000 (चौबीस करोड़ छब्बीस लाख चालीस हजार रूपए) का जुर्माना एवं 10-10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में शासन की ओर से पैरवी प्रमोद अहिरवार सहायह जिला अभियोजन अधिकारी सीहोर द्वारा की गई। विशेष न्यायालय द्वारा हीरालाल वैष्णव पिता कन्हैयालाल वैष्णव निवासी ग्राम कदवाली थाना क्षिप्रा इंदौर, मुनिन्दर पिता लालचंद्र लिखारे निवासी लोधीखेडा जिला छिंदवाड़ा, आशीष गुप्ता पिता एम.पी. गुप्ता निवासी विजय नगर इंदौर, विपिन यादव पिता अभिलाख सिंह निवासी हरीशचंद पुरा थाना देहात भिंड को सश्रम कारावास एवं अर्थदंड से दंडित किया गया है।
विशेष न्यायालय के मीडिया सेल प्रभारी केदार कौरव ने बताया कि बीएन ग्रुप ऑफ कम्पनीज की विभिन्न संस्थाओं बीएन गोल्ड, रियल इस्टेट एंड एलाइड लिमिटेड, बीएन ग्रुप का संचालन देश के कई प्रदेशों में किया जा रहा है। बीएन ग्रुप के सीएमडी गुरविन्दर सिंह संधू एवं बीएन ग्रुप कम्पनी के सीनियर मार्केटिंग मैनेजर हीरालाल वैष्णव ने बहुत सी संस्थाओं के माध्यम से अपनी अच्छी पहचान बनाई और फिर योजना के अनुसार उक्त संस्थाएं बनाकर बहुत प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने स्वयं पर लाखों लोगों का पैसा किश्त भुगतान एवं एक मुश्त भुगतान योजना शुरू करके नगद राशि प्राप्त की और बदले में निवेशकों को कम्पनी का प्रमाण पत्र एवं रसीदें उपलब्ध कराई। हीरालाल वैष्णव ने उन पैसों से कई जगह पर कम्पनी एवं स्वयं के नाम पर जमीन खरीद ली। निवेशकों के प्रमाण-पत्र में दी गई समयावधि समाप्त होने के बाद राशि का भुगतान करने में आनाकानी करने लगे। इसके बाद उनकी शिकायत की गई। शिकायत के बाद शाजापुर में 6 फरवरी 2011 को हीरालाल वैष्णव को गिरफ्तार किया गया।
जब मामला प्रकाश में आया तो बुलाई बैठक-
मीडिया सेल प्रभारी केदार कौरव ने बताया कि जब मामला प्रकाश में आया और इसकी शिकायत हुई तो कंपनी के सीएमडी गुरविंदर सिंह संधू ने सभी निवेशकों की तत्काल मीटिंग बुलाई। इसमें नए एवं पुराने निवेशकों को बुलाकर निवेश के लिए आग्रह किया और इस तरह से पैसा बटोरना जारी रखा। उन्होंने निवेशकों को गुमराह कर बहुत पैसा बटोरकर निवेशकों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने का अपराध किया। उक्त सभी कम्पनी के डायरेक्टर्स ने बारी-बारी से सीहोर बस स्टैंड, नेहरू पार्क एवं क्रिसेंट रिसोर्ट सीहोर पर कंपनी का प्रचार-प्रसार किया और निवेशकों से रूपए प्राप्त किए। बीएन ग्रुप कम्पनी के डायरेक्टर्स एवं सीनियर मार्केटिंग मैनेजर द्वारा निवेशकों से पैसे लेकर जो सर्टिफिकेट दिए गए, उस सर्टिफिकेट की समयावधि पूर्ण होने के एक वर्ष बाद निवेशकों की राशि का भुगतान करने के लिए चेक दिए गए, लेकिन उनके द्वारा दिए गए चेक बाउंस हो गए। केस लगाने पर उक्त पते पर स्थित कम्पनी का आफिस रातोंरात बंद कर दिया गया और जब निवेशकों द्वारा कंपनी के पदाधिकारियों से संपर्क किया तो भुगतान में आनाकानी करने लगे। बाद में सब फरार हो गए। उसके बाद निवेशक, आवेदक, परिवादीगण ने लिखित शिकायत आवेदन पुलिस अधीक्षक जिला सीहोर को दिया। लिखित शिकायत आवेदन के आधार पर थाना कोतवाली, जिला सीहोर में प्रकरण के अभियुक्तगण हीरालाल वैष्णव, आशीष गुप्ता, मुनिन्दर लिखारे, विपिन सिंह यादव, के विरूद्ध भादवि 1860 की धारा 420 धारा 34 एवं मप्र निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा-6 के अंतर्गत अपराध क्रमांक 150/2016 पंजीबद्ध कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई। इसके बाद तत्कालीन विवेचना अधिकारी निरी. अजय नायर, उनि. शैलेंद्र तोमर, सउनि. नंदराम अहिरवार द्वारा मामले की जांच शुरू की गई। जांच के बाद अभियोग-पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
वरिष्ठ अधिकारी बैठक करके सुनते हैैं-
चिटफंड संबंधित मामलों में शासन स्तर पर मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में समय-समय पर समीक्षा की जाती थी, जिसके संबंध में समय-समय पर संचालक अन्वेष मंगलम लोक अभियोजन संचालनालय, तत्कालीन कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर, पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी एवं तत्कालीन जिला अभियोजन अधिकारी देवेंद्र सिंह ठाकुर की जिला स्तरीय समिति के तहत समय-समय पर पुलिस कंट्रोल रूम सीहोर में अभियोजन अधिकारियों के साथ बैठक करके प्रकरण में सफलता प्राप्त हुई।