
Sehore News : सीहोर। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, जो इस साल 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान एवं परामर्श केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार इन 15 दिनों में दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति और सम्मान के लिए श्राद्ध, तर्पण और विशेष पूजा की जाती है। पितृपक्ष में कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना गया है।
श्राद्ध पक्ष में इन बातों का रखें ध्यान
प्रतिदिन तर्पण: स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पित करें। जल में काले तिल और जौ मिलाकर अघ्र्य दें।
मंत्र जाप: तर्पण करते समय गायत्री मंत्र या पितृ मंत्र का जाप करें। यह पितरों को तृप्त करने का एक प्रभावी उपाय है।
पिंडदान और भोजन: श्राद्ध में पिंडदान करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना जरूरी होता है। यदि ब्राह्मण उपलब्ध न हों तो भोजन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या गाय को खिलाया जा सकता है।
सात्विक भोजन: श्राद्ध का भोजन पूरी तरह से सात्विक, शुद्ध और बिना लहसुन प्याज का होना चाहिए।
दान-पुण्य: इस दौरान अन्नए वस्त्रए जूते और अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
यह बिल्कुल भी न करें
तामसिक भोजन: पितृ पक्ष में भूलकर भी मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
शुभ कार्य: विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या किसी नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
व्यक्तिगत देखभाल: पितृ पक्ष के 15 दिनों में बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए।
नई वस्तुएं: नए कपड़े, गहने या अन्य कोई नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
लड़ाई-झगड़ा: इस दौरान किसी से भी बहस या झगड़ा करने से बचें।
श्राद्ध पक्ष की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध: 7 सितंबर, रविवार
प्रतिपदा श्राद्ध: 8 सितंबर, सोमवार
द्वितीया श्राद्ध: 9 सितंबर, मंगलवार
तृतीया व चतुर्थी श्राद्ध: 10 सितंबर, बुधवार
पञ्चमी श्राद्ध व महा भरणी: 11 सितंबर, गुरुवार
षष्ठी श्राद्ध: 12 सितंबर, शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध: 13 सितंबर, शनिवार
अष्टमी श्राद्ध: 14 सितंबर, रविवार
नवमी श्राद्ध: 15 सितंबर, सोमवार
दशमी श्राद्ध: 16 सितंबर, मंगलवार
एकादशी श्राद्ध: 17 सितंबर, बुधवार
द्वादशी श्राद्ध: 18 सितंबर, गुरुवार
त्रयोदशी श्राद्ध व मघा श्राद्ध: 19 सितंबर, शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध: 20 सितंबर, शनिवार
सर्वपितृ अमावस्या: 21 सितंबर, रविवार