
सीहोर। जिले में लगातार हो रही बारिश ने अब किसानों की परेशानियोें को बढ़ा दिया है। किसानों के खेतोें में लगी सोयाबीन की फसल जहां खराब होने की कगार पर पहुंच गई है तोे वहीं अन्य फसलों को भी बारिश से नुकसान है। बारिश के कारण किसानों की अगली फसल भी प्रभावित हो सकती है। इधर जहां बारिश के कारण किसान परेशान हैं तो वहीं अब उन्हें आगामी फसलों के लिए खाद की किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है। सीहोर जिले में डीएपी खाद की उपलब्धता तो है, लेकिन यूरिया के लिए किसानों को अभी भी इंतजार करना पड़Þ रहा है। कई सहकारी सोसायटियों में खाद नहीं है। इसके कारण किसानों को लंबी-लंबी लाइने भी लगानी पड़ रही है।
सीहोर जिले में करीब 2 लाख 83 हजार हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन की बुबाई की गई है, तो वहीं करीब 45 हजार हेक्टेयर रकबे में धान लगाई गई है। इसी तरह 10 से 12 हजार हेक्टेयर में मक्का, 4-5 हजार हेक्टेयर रकबे में मूंग, 18 से 20 हजार हेक्टेयर रकबे में उड़द एवं 40 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में किसानों ने अन्य फसलें, सब्जी लगा रही है। अब किसानों की सोयाबीन की फसल बर्बाद होने की स्थिति में पहुंच गई है। दरअसल लगातार बारिश के कारण किसान सोयाबीन की फसल कोे काट नहीं पा रहे हैं औैर इससे अब सोयाबीन में दाग लगने लगे हैैं।
इधर कृषि विभाग का दावा, जिले में रासायनिक उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता
सीहोर जिले में खाद की किल्लत के बीच कृषि विभाग ने दावा किया है कि जिले में खाद की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है। सीहोर जिले में सोयाबीन फसल की कटाई के बाद गेहूं की बोनी नवंबर माह से प्रारंभ होगी। गेहूं की बोनी के चलते यूरिया एवं डीएपी की मांग में वृद्धि संभावित हैं। किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के उप संचालक केके पांडे ने जानकारी दी कि वर्तमान में जिले में किसी भी प्रकार की उर्वरक की कमी नहीं है। सभी स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद का भंडारण कराया गया है। किसान अपनी आवश्यकता अनुसार संबंधित वितरण केंद्रों से उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि रबी 2022-23 में जिले के लिए 76500 मीट्रिक टन यूरिया एवं 22000 डीएपी की मांग वरिष्ठ कार्यालय को भेजी गई है। वर्तमान में जिले के 108 सहकारी समितियों में 3191 मीट्रिक टन यूरिया तथा 3967 मीट्रिक टन डीएपी भंडारित हैं तथा यह किसानों को सीधे प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त जिले में एमपी एग्रो के मंडी स्थित विक्रय केन्द्र में 181 मीट्रिक टन यूरिया, 24 मीट्रिक टन डीएपी एवं 30 मीट्रिक टन सुपर फास्फेट उपलब्ध है। उन्होंने जिले के सभी किसान भाइयों से कहा है कि वे अनावश्यक रूप से परेशान न हो। किसान भाई संबंधित सहकारी अथवा समीपस्थ निजी उर्वरक विक्रय केन्द्र से पात्रता अनुसार रासायनिक उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं। कालातीत कृषकों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए जिले के सभी विकासखंडों में 22 नगद उर्वरक विक्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
खरीफ फसल उपार्जन के लिए पंजीयन 15 अक्टूबर तक
खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर धान, मोटा अनाज, ज्वार, बाजरा के उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन 15 अक्टूबर तक किया जाएगा। खादय एवं आपूर्ति विभाग ने बताया कि किसान पंजीयन की व्यवस्था को सहज और सुगम बनाया गया है। किसान स्वयं के मोबाइल से घर बैठे पंजीयन कर सकेंगे जिससे किसानों को पंजीयन केन्द्रों में लाईन लगाकर पंजीयन कराने की समस्या से निजात मिलेगी। किसान अपना पंजीयन एमपी आॅनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेंटर कियोस्क, लोकसेवा केन्द्र अथवा निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित सायबर कैफे के माध्यम से भी करा सकेंगे। उपार्जन के लिए किसान का पंजीयन करने के पूर्व भूमि संबंधी दस्तावेज एवं किसान के आधार, फोटो पहचान पत्रों का समुचित परीक्षण कर उनका रिकार्ड रखा जाना अनिवार्य होगा।
जिले में ये 12 पंजीयन केन्द्र-
जिले में धान, ज्वार एवं बाजरा के उपार्जन के लिए 12 पंजीयन केन्द्र बनाए गए है। किसान विपणन सहकारी समिति मर्यादित नसरूल्लागंज एवं सहकारी विपणन एवं प्रक्रिया संस्था मर्यादित सीहोर को फसल की खरीदी के लिए पंजीयन केन्द्र बनाया गया है। इसी प्रकार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित बुधनी, शाहगंज, जवाहरखेड़ा, बनेटा प्लाट, कुसुमखेड़ा, आमोन, रेहटी, बोरदी, बायां तथा माथनी को पंजीयन केन्द्र बनाया गया है।