
सीहोर। वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने वीआइपी कल्चर खत्म कर दिया है। इसके चार साल बीतने के बाद भी अधिकारियों का मोह अपने वाहनों में हूटर लगाने का नहीं छूट रहा है। ऐसा ही सीहोर शहर के जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. अशोक मांझी वीआइपी कल्चर के आवरण से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। डॉ. मांझी की कार में अभी भी हूटर लगा हुआ है। बताया जाता है कि यह हूटर सिविल सर्जन ने आम लोगों में अपना रौब जमाने के लिए यह हूटर लगाया हुआ है। ताकि जिला अस्पताल में आने वाले आम लोगों में उनका खौफ बना रहे।
चार साल पहले केंद्र सरकार ने वीआइपी कल्चर खत्म करने के लिए वाहनो से लाल, पीली और नीली बत्तियों को तो हटा दिया है। लेकिन अभी भी ऐसे वाहनो में सफर करने वालो की कमी नहीं हैं जो अनाधिकृत रूप से अपनी गाड़ियों में हूटर लगाकर वीआइपी के भ्रम से बहार नहीं निकल सके हैं। हूटर को यह लोग अपने रौब और प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। इसी तरह जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक मांझी भी वीआइपी कल्चर के भ्रम से बहार नहीं आ पा रहे हैं और इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर हूटर लगाया हुआ है।
शहर में भी है कई हूटर लगे वाहन-
शहर में कई वाहनों में अभी भी हूटर लगे देखे जा सकते हैं। जिले में ज्यादातर जनप्रतिनिधियों व कुछ अधिकारियों के वाहन में हूटर लगा हुआ है। इन्हें इन वीआइपी कल्चर में रहकर हूटर वाले वाहनों में घूमने का शौक है। जबकि इसका अधिकार उन्हे है ही नहीं। जो कि खुलेआम वाहनो पर हूटर लगाकर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
इन वाहनों में लगा सकते हैं हूटर-
हूटर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, आरटीओ, डायल 100 वाहनों के साथ ही मजिस्ट्रेट के वाहन पर हूटर लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा किसी भी वाहन पर हूटर नहीं लगाया जा सकता है। इस संबंध में आरटीओ रीतेश तिवारी का कहना है कि हूटर लगाने के लिए किसी को भी परमिशन नहीं दी जाती है। इसके लिए अधिकृत कुछ वाहनों को ही इसकी अनुमति रहती है। अपने वाहनों में हूटर लगाने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।