Newsआष्टाइछावरजावरनसरुल्लागंजबुदनीरेहटीसीहोर

सीहोर: जिलेभर में महिलाओं ने की दशा माता की पूजा

सीहोर। होलिका दहन के दसवें दिन व्रत-पूजन कर महिलाओं ने सुख-समृद्धि के साथ पारिवारिक दशा सुधारने की कामना दशा माता से की। माता पार्वती की स्वरूप दशा माता के पूजन का यह अवसर कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर शुक्रवार को मिला है। सोलह श्रंृगार कर सुहागिन महिलाएं सुबह से उन मंदिरों में पहुंची, जहां पीपल का पेड़ है। सामूहिक रूप से राजा नल और रानी दमियंती की कथा भी सुनीं। जावर में सुबह से ही श्रीराधा-कृष्ण मंदिर, श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर, मां अन्नपूर्णा मंदिर में महिलाओं की भीड़ रही।
आष्टा नगर में भी सुबह से ही महिलाएं पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंची। इस दौरान महिलाओं द्वारा व्रत करके पीपल की पूजा कर उस पर कच्चे सूत में 10 गाँठें लगाकर पीपल वृक्ष की परिक्रमा कर उसे लपेटा। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है, घर की दशा सुधरती है।
रेहटी, नसरूल्लागंज, सीहोेर सहित जिलेभर के शहरोें एवं ग्रामीण क्षेेत्रों में महिलाओें ने दशा माता का व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना की एवं परिवार की सुख, समृद्धि की कामना भी की।
ये हैै व्रत की मान्यता –
मान्यता है कि राजामल ने अपनी पत्नी द्वारा किए गए इस व्रत का अपमान किया था तो उन्हें काफी दुख सहन करना पड़े थे, जब दोबारा से उन्होंने इस व्रत को किया और पूजन की तभी उनकी घर की दशा सुधरी। तब से यह मान्यता चली आ रही है कि आज के दिन महिलाएं घर की दशा सुधारने के लिए उपवास रखकर पूजन करती हैं। पं. आनंद शर्मा ने बताया कि महिलाएं दशा माता के लिए बेसन के गहने भी बनाती हैं। पीपल, बरगद और नीम के पेड़ों की त्रिवेणी के पूजन का भी विधान है। दशमी पर व्रतधारी सुबह पूजा का संकल्प लेकर पीपल को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजन करती हैं। कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाई जाती हैं। फिर महिलाएं पीपल के पेड़ के चारों ओर दस बार घूमती हैं और उसके तने पर पवित्र सूती धागे को घुमाती हैं। इस दिन व्रत रखकर विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। एक बार व्रत करने के बाद उसे जीवनभर जारी रखना चाहिए। पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर हल्दी और कुमकुम से रेखाचित्र बनाए जाते हैं। इस प्रकार, महिलाएं अपने घर को बुराई और नकारात्मकता से बचाने के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना करती हैं।
कौन हैं दशा माता-
दशा माता नारी शक्ति का एक रूप है। ऊंट पर आरूढ़, देवी मां के इस रूप को चार हाथों से दर्शाया गया है। वह क्रमशः ऊपरी दाएं और बाएं हाथ में तलवार और त्रिशूल रखती हैं और निचले दाएं और बाएं हाथों में उनके पास कमल और कवच है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button