
सीहोर. भारत में अलग-अलग धर्म के देवी-देवाताओं के अपमान का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लीना मणिमेकलई नाम की एक फिल्म मेकर ने अपनी डॉक्यूमेंट्री में हिंदू देवी काली माता को सिगरेट पीते दिखाया गया है। इस तरह के लोगों पर धिक्कार है। इन दिनों आषाढ़ गुप्त नवरात्रि चल रही है और इस तरह मां काली जो सबके आराध्य है उसका उपहास किया है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निमार्णाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्री गुरु शिव महापुराण के दूसरे दिन गुरुवार को कहे। उन्होंने कहा कि देवी मां का अपमान करने वाले किसी मां की संतान नहीं हो सकते, क्योंकि मां की कोख से पैदा होने वाले कभी मां का उपहास नहीं कर सकते। कभी किसी की निंदा नहीं करना चाहिए।
गुरुवार को भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि समस्या कोई भी आए, किसी को नहीं बताना, सिर्फ शिव के मंदिर जाना, शिव को बेलपत्र, एक लोटा जल चढ़ाकर शिव को बताना और कहना हे भोलेनाथ, मेरे को यह समस्या आई है। समस्या कितनी भी विकट हो, इससे मुक्ति दिलाना। आपकी सारी समस्या का समाधान होगा। कोरोना संकट को टालने वाला भगवान भोलेनाथ है। आप जो इस महामारी के बाद यहां पर बैठे हैं, वहां भगवान की कृपा है। शिवकृपा आती है तब हमें जीवन का कोई न कोई सुख प्राप्त होता है। शिव की कृपा उदारता आप और हम पर हुई है। सत्संग की कमाई कभी व्यर्थ नहीं जाएगी। सत्संग की पूंजी कभी समाप्त नहीं होगी। अपने जीवन को आनंद से जियो न कि किसी की बुराई करके। कोई कितनी भी गालियां दे, मुंह पर कपड़ा रख चुपचाप निकल जाएं। गालियां देने वाले को कर्म फल मिलेगा।
मृत्यु लोक में गुरु मंत्र अमर रहता-
शिव महापुराण के दूसरे दिन भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध हमेशा बना रहता है। मंत्र के माध्यम से एक सेतू का काम करता है। जब स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस रोग से पीड़ित थे, उस दौरान उनके शिष्य विवेकानंद जी ने कहा कि आप मां से इस दुख के लिए, इस संकट के लिए मुक्ति मांगे तो उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई भी अमर नहीं है। मात्र गुरु के मंत्र ही अमर हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारा देश विश्व गुरु था और हमेशा रहेगा। कथा के दूसरे दिन भगवान भोलेनाथ के अर्धनारेश्वरी की पूजा-अर्चना की गई। भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप के आधे भाग में पुरुष रूपी शिव का वास है तो आधे हिस्से में स्त्री रूपी शिवा यानि शक्ति का वास है। भगवान शिव ने यह रूप ब्रह्मा जी के सामने लिया था। मान्यता है कि शिव और शक्ति को एक साथ प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव के इस स्वरूप की आराधना की जाती है, इसलिए कहा जाता है कि भगवान शिव और शक्ति के एक दूसरे के पूरक हैं। भगवान भोले का सादगी से ध्यान करने से शिव के हर रूप में दर्शन होते हैं।