
सीहोर। जिले में इस समय किसानों द्वारा गेहूं की बोवनी का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें डीएपी, यूरिया खाद की जरूरत है, लेकिन किसानोें को बाजार से खाद लाकर अपनी पूर्ति करनी पड़ रही है, जबकि कृषि विभाग दावा कर रहा है कि जिले में खाद की पर्याप्त उपलब्धता है। कहीं कोई कमी नहीं है। इसके बाद भी किसानों को खाद उपलब्ध नहीं होेना कहीं न कहीं कालाबाजारी की तरफ इशारा करती है। सोसायटी की मिलीभगत से खाद की कालाबाजारी की जा रही है।
जिलेभर में इस समय गेहूं, चना की बोेवनी का कार्य चल रहा है। इसके लिए किसानों को डीएपी, यूरिया खाद की जरूरत होती है, लेकिन किसानोें को यूरिया खाद की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। इसके लिए वे परेशान हैं एवं कर्ज लेकर बाजार से खाद लेकर आ रहे हैं, जबकि जिले में खाद की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता बताई जा रही है। इसके पीछे कहीं न कहीं सिस्टम की खामियां सामने आ रही है।
कई समितियों से गायब हो चुका है खाद-
सीहोर जिले की कई समितियां खाद चोरी करने के मामले में अव्वल हैं। पहले कई समितियां खाद चोरी के मामले में फंस चुकी हैं। ट्रकों के ट्रक गायब करकेे समिति प्रबंधकोें ने सरकार को जमकर चूना लगाया एवं व्यापारियों से भी मोटा माल वसूला। बुदनी विधानसभा की रेहटी तहसील की कई ऐसी समितियां हैं, जिन पर खाद चोरी के मामले भी दर्ज कराए गए थे। वर्तमान में भी कई समितियों से खाद ब्लैक में बेचा जा रहा है। समितियों के कर्मचारियोें की मिलीभगत से खाद की कालाबाजारी की जा रही है।
3870 मीट्रिक टन यूरिया तथा 4169 मीट्रिक टन डीएपी भंडारित-
वर्तमान में जिले में किसी भी प्रकार की उर्वरक की कमी नहीं है। सभी स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद का भंडारण कराया गया है। किसान अपनी आवश्यकता अनुसार संबंधित वितरण केन्द्रों से उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं। वर्तमान में जिले के 108 सहकारी समितियों में 3870 मीट्रिक टन यूरिया तथा 4169 मीट्रिक टन डीएपी भंडारित हैं तथा यह किसानों को सीधे प्राप्त हो रही है।
खाद वितरण व्यवस्था को सुचारू बनाने के कलेक्टर ने दिए निर्देश-
इनका कहना है-
सीहोर जिले में डीएसपी, यूरिया खाद की पर्याप्त उपलब्धता है। मांग के अनुसार किसानों को भी सहकारी समितियों के माध्यम सेे पर्याप्त खाद उपलब्ध करवाया जा रहा है। यदि किसानों को खाद नहीं मिल रहा है या कहीं पर इसकी कालाबाजारी हो रही है तोे जांच कराई जाएगी एवं कार्रवाई भी की जाएगी।
– केके पांडे, उप संचालक कृषि, जिला सीहोर