
सीहोर. यह सत्य है कि संसार मे कर्म ही सब कुछ है। कर्म मे ही आपका जीवन है। कर्म के कुछ सिद्धांत हैं जिनका पालन करने से आपके जीवन को दिशा मिलती है। हर सभ्यता और समाज मे समय के अनुसार कर्म के छोटे-बढ़े और अच्छे-बुरे की परिभाषा तय की जाती है। आपकी सोच आपके कर्म की पहली सीढ़ी होती है। संसार का हर मनुष्य सदा सर्वदा कर्म मे ही लीन होता है तथा तदनुसार उसे उसका फल भी मिलता रहता है। शिव महापुराण में वर्णन है कि एक बार माता पार्वती ने शिव से कहा कि आप दुख देते है तो भगवान ने कहा कि मैं कभी किसी को दुख नहीं देता, मनुष्य स्वयं अपने कर्मों का फल भोगता है।
जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी श्री गुरु श्री शिव महापुराण के छठवें दिवस भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहा कि भगवान शिव पर भरोसा करो, वहीं आपके दुखों को दूर कर सकता है। जो भक्त अपने जीवन में नियमित धर्म के कार्य करते हुए प्रभु के शरण में रहकर उनका नाम जपता है। उसके जीवन में दुख कभी नहीं आता। वह सदैव सुखी रहता है। वहीं जो ऐसा नहीं करता है। वह हमेशा दुखी रहता है। उसको दर-दर भटकने के अलावा कुछ नहीं मिलता है। भगवान शिव के नाम में जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। उनका के नाम का जप करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं। जीवन में व्यक्ति को प्रभु से कभी दूरी बनाकर नहीं रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को उसके हर काम का साक्षी खुद ही बनाना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा कर्म हो या बुरा। मनुष्य को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि उसके कर्मों को कोई देख नहीं रहा। कई लोग कोई गलत काम करते समय मन में यह भाव रखते है कि उन्हें उनके इस कार्य को करते हुए कोई नहीं देख रहा जिस कारण उन्हें उस कार्य को करते समय किसी भी बात का भय नहीं रहता। परन्तु वास्तविकता का उसे ज्ञान नहीं होता। अतरू मनुष्य को अपने हर कर्म का साक्षी खुद ही होना चाहिए। यदि मनुष्य कोई भी पाप करने से पूर्व यह भाव अपने मन में रखेगा तो वह अपने आप को किसी भी पाप को करने से रोक लेगा।
संत रविदास ने हमेशा जातिवाद को त्यागकर प्रेम से रहने की शिक्षा दी
भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने सोमवार को कहा कि संत रविदास ने हमेशा जातिवाद को त्यागकर प्रेम से रहने की शिक्षा दी। उन्होंने अच्छे कर्मों और गुणों को जरूरी माना है। लोगों का भला करना और साफ मन से भगवान में आस्था रखना ही उनका स्वभाव था। संत रविदास को कभी भी धन का मोह नहीं रहा। उनके बताए दोहों को समझकर अपनाने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ेगी और सफलता भी मिल सकती है। एक बार उन्होंने मीरा बाई से कहा कि आप किसी की चिंता नहीं कर भगवान का स्मरण करो। जिसने रविदास को नहीं समझा उसने कुछ नहीं जाना है। उन्हे रैदास के नाम से भी जाना जाता है। वे गंगा मैया के अनन्य भक्त थे। संत रविदास को लेकर मन चंगा तो कठौती में गंगा की कहावत बहुत प्रसिद्ध।
आज किया जाएगा शिव महापुराण का समापन, बुधवार को भव्य गुरु दीक्षा समारोह
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि कुबेरेश्वर धाम में जारी सात दिवसीय महापुराण मंगलवार को समापन की जाएगी, वहीं गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर बुधवार को भव्य गुरु दीक्षा समारोह का आयोजन किया जाएगा। भव्य आयोजन को लेकर समिति ने आधा दर्जन से अधिक भव्य पंडालों का आयोजन किया गया है। सोमवार को महापुराण के दौरान भगवान गणेश के विवाह की झांकी सजाई गई थी।