सीहोर की नेतागिरी एवं नेताओं की आपसी खींचतान ने रोका ट्रेनों का स्टापेज

अब सीहोर रेलवे स्टेशन पर गाड़ियों के स्टापेज के लिए किया जाएगा रेल रोका आंदोलन

सीहोर। रेलवे को सीहोर स्टेशन से यात्री किराया और मालभाड़े के रूप में करोड़ों रुपए की आय होती है। इसके बाद भी रेलवे द्वारा हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इस स्थिति का कारण कहीं न कहीं शहर की राजनीति भी बनी। शहर के नेताओं की आपसी खींचतान ने भी सीहोर स्टेशन पर ट्रेनों का स्टापेज नहीं होने दिया। हमारा आंदोलन लगातार जारी है। जब तक सीहोर से गुजरने वाली गाड़ियों का यहां पर स्टापेज नहीं होगा, आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा। अब रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए हमें एक घर से एक व्यक्ति का सहयोग चाहिए। ये बातें राष्ट्रीय मानव अधिकार मंच के प्रदेशाध्यक्ष नौशाद खान ने कही। वे नेहरू कॉलोनी स्थित दर्जी समाज की धर्मशाला में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
राष्ट्रीय मानव अधिकार मंच के प्रदेशाध्यक्ष नौशाद खान ने कहा कि मंच लंबे समय से जनहित में सीहोर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के स्टापेज की लड़ाई लड़ रहा है। मंच प्रयागराज डॉ. अम्बेडकर नगर इंदौर-पटना, इंदौर-हावड़ा, अहमदाबाद-गोरखपुर, शिप्रा एक्सप्रेस, इंदौर-हावड़ा ट्रेनों को सीहोर रेलवे स्टेशन पर स्टॉपेज कराने के साथ ही कोरोना काल से रुकी हुई ओवर नाईट जबलपुर इंदौर एक्सप्रेस, इंदौर-भोपाल इंटरसिटी को पुन: सीहोर स्टेशन पर रोके जाने और समस्त जरूरी सुविधाएं सीहोर स्टेशन पर उपलब्ध कराने के लिए आंदोलन कर रहा है। उन्होंने कहा की सांसद, विधायक, नगर पालिका अध्यक्ष सभी सत्ताधारी दल के हैं। यही नहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं भी सीहोर जिले के निवासी हैं। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, लेकिन फिर भी सीहोर की जनता ट्रेनों के लिए लाचार है। यहां पर विपक्ष केवल मुददों को छीनता है। झूठी वाहवाही लूटने का प्रयास करता है। जनता की परेशानियों से किसी को सरोकार नहीं है।
नगरवासियों सहित आसपास के लोगों को होती है परेशानी-
राष्ट्रीय मानव अधिकार मंच के प्रदेशाध्यक्ष नौशाद खान ने कहा कि स्टेशन पर ट्रेनें नहीं रुकने से शहर सहित आसपास के दो सौ से अधिक गांवों के यात्रियों को विकट समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वैष्णो देवी माता के दर्शन करने जाना हो या प्रयागराज जाना हो या फिर अजमेर शरीफ जाना हो, सुपर फास्ट ट्रेन शुजालपुर या बैरागढ़ से ही मिलती है। इसी तरह शहर के व्यापारियों को भी सीहोर में ट्रेनें नहीं रुकने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। शहर में बड़ी सख्या में गुजराती, मारवाड़ी महाराष्ट्रीयन, भोजपुरी समाज रहता है। इन्हें अपने ग्रह नगर आने-जाने में भी दिक्कतें होती हैं। नौकरी पैसा लोगों को भी शुजालपुर या बैरागढ़ से ट्रेन पकड़नी पड़ती है। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के आश्रम कुबेरेश्वर धाम के लिए भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु सीहोर आते हैं, लेकिन उन्हें भी ट्रेनों के स्टापेज नहीं होने के कारण परेशानियां उठानी पड़ती है।
हर माह एक लाख 25 हजार की आय-
नौशाह खान ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत रतलाम रेल मंडल से प्राप्त जानकारी के मुताबिक सीहोर रेलवे स्टेशन से रेलवे को प्रतिदिन एक लाख 25 हजार रुपए की आय होती है। साथ ही स्थानीय अनाज व्यापारियों के द्वारा बड़ी मात्रा में अन्य राज्यों के बड़े व्यापारियों और बंदरगाह के लिए भी अनाज मालगाड़ियों के माध्यम से भेजा जाता है। अनेक प्रकार का सामान स्थानीय बडेÞ विभिन्न प्रकार के व्यापारियों के द्वारा बाहर से रेलवे के माध्यम बुलवाया भी जाता है। इस तरह रेलवे प्रतिमाह 50 से 60 लाख रुपए का कारोबार सीहोर से करता है। इसके बावजूद सुविधाओं के नाम पर सीहोर रेलवे स्टेशन पर सर्वसुविधा युक्त शौचालय तक नहीं है। प्लेट फार्म पर बोगी नंबर स्क्रीन भी नहीं है। सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी नहीं हैं। इस दौरान राष्ट्रीय मानव अधिकार मंच के शरद मोदी, सेवा यादव, अजहर बाबा, राजू बोयत कैलाश यादव सहित अन्य पदाधिकारी कार्यकर्ता गण मौजूद रहे।

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