साहिबजादों का बलिदान युगों-युगों तक प्रेरणा देता रहेगा, रेहटी कॉलेज में मना वीर बाल दिवस

सीहोर। शासकीय महाविद्यालय रेहटी में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। यह दिवस सिक्ख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के वीर साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की महान शहादत और उनके धर्म के प्रति अडिग विश्वास की स्मृति में आयोजित किया गया।
वीर साहिबजादों के शौर्य को किया नमन कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. सुरेश सोलंकी ने साहिबजादों के अद्वितीय त्याग पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मात्र 7 और 9 वर्ष की कोमल आयु में साहिबजादों ने मुगल आक्रांताओं के समक्ष घुटने टेकने के बजाय मृत्यु को गले लगाना स्वीकार किया। वर्ष 1705 में मुगलों द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए भारी दबाव बनाया गया, लेकिन जब वे अपनी सच्चाई और आस्था से विचलित नहीं हुए तो उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया। उनका यह सर्वोच्च बलिदान भारतीय इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
माता गुजरी का त्याग
कार्यक्रम में डॉ. अरविंद अहिरवार ने बताया कि इन वीर सपूतों की शहादत का समाचार पाकर उनकी दादी माता गुजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि इस महान विरासत को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2022 में घोषणा की थी कि हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी इन बाल नायकों के शौर्य से प्रेरणा ले सके।
इन्होंने की सहभागिता
कार्यक्रम का संचालन रासेयो कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार मालवीय के मार्गदर्शन में हुआ। इस अवसर पर तकनीकी सहायक मनीष मोनिया सहित बड़ी संख्या में महाविद्यालय के विद्यार्थी और प्राध्यापक उपस्थित रहे। विद्यार्थियों ने वीर साहिबजादों की वीरता और धर्म रक्षा के संकल्प को अपने जीवन में उतारने की शपथ ली।

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