बुदनी के आदिवासियों ने दी चेतावनी…

सीहोर। बुदनी क्षेत्र के आदिवासी बहुल इलाकों में रेलवे और नेशनल हाईवे परियोजनाओं के लिए किए जा रहे भूमि एवं मकानों के अधिग्रहण के विरोध में आदिवासी समाज का असंतोष खुलकर सामने आया। बड़ी संख्या में आदिवासी परिवारों ने बुधनी में एक दिवसीय विशाल धरना-प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के उपरांत सभी आदिवासी परिवार रैली के रूप में एसडीएम कार्यालय पहुंचे और अपनी गंभीर समस्याओं को लेकर राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन एसडीएम डीएस तोमर को सौंपा।
पुनर्वास पर गंभीर आरोप
प्रतिनिधियों ने ज्ञापन में प्रशासन और अधिग्रहण एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अधिग्रहण के बाद प्रभावित परिवारों को समुचित मुआवजा नहीं दिया गया है और न ही उनके पुनर्वास की कोई प्रभावी व्यवस्था की गई है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि कई परिवार वैकल्पिक आवास की व्यवस्था न होने के कारण बेघर होने की स्थिति में हैं। इसके अलावा अधिग्रहण के कारण उनके पारंपरिक रोजगार और मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच भी बाधित हो गई है, जिससे उनका जीवनयापन मुश्किल हो गया है।
पट्टों में ‘धांधली’ का मुद्दा
प्रदर्शनकारियों ने अधिग्रहण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा कई आदिवासियों के भूमि पट्टे उनकी जानकारी के बिना ही काट दिए गए हैं, जिससे वे अपने पुश्तैनी अधिकारों से वंचित हो गए हैं। इस अन्याय के विरोध में एसडीएम कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारेबाजी की।
प्रशासन ने दिया जांच का आश्वासन
ज्ञापन सौंपे जाने के बाद एसडीएम दिनेश सिंह तोमर ने प्रदर्शनकारियों से बात की। उन्होंने स्वीकार किया कि रेलवे और नेशनल हाईवे परियोजनाओं के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण को लेकर आदिवासी समाज की कुछ शिकायतें सामने आई हैं। एसडीएम तोमर ने आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि ज्ञापन में उठाए गए सभी बिंदुओं की गंभीरता से जांच की जाएगी और 15 दिनों के भीतर इन समस्याओं के उचित समाधान की दिशा में कार्यवाही की जाएगी।
उग्र आंदोलन की चेतावनी
धरना प्रदर्शन समाप्त करने से पहले आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय सीमा यानी 15 दिनों के भीतर उनकी समस्याओं का संतोषजनक समाधान नहीं किया गया तो वे बड़ा और उग्र आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे।



