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सत्संग और शमशान से बुलावा नहीं आता: पं मोहितरामजी

आष्टा। भगवान शिव का सत्संग हो या श्मशान यहां से बुलावा नहीं आता। यहां तो भक्तों को स्वयं जाना पड़ता है और जो भक्त भगवान शिव के सत्संग में जाता है उसे श्मशान में पीड़ा नहीं भोगना पड़ती। माता पार्वती की पावन नगरी आस्था का नगर आष्टा में श्रावण के साथ अधिक मास के पावन अवसर पर नगर के बीचोंबीच सिद्ध स्थल श्री मानस भवन में स्वयं मां पार्वती रूपी शिव महापुराण का जयघोष हुआ। सर्वप्रथम नगर के गायत्री मंदिर से भगवान शिव की मंगलमय शिव महापुराण की आयोजन कलश यात्रा को आरंभ किया गया। इस अवसर पर महिलाएं पारंपरिक परिधान चुनरी व पीले वस्त्र पहनकर शामिल हुईं। कलश यात्रा भ्रमण करने के बाद पुनः कथास्थल पहुंची। इस दौरान महिला-पुरुष भजनों पर नाचते हुए चल रहे थे। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन भागवत प्रेमी माताएं-बहनें महिलाएं शामिल हुईं। इसके बाद शिवमहापुराण को ढोल-नगाड़ों के साथ कथा स्थल पर लाकर स्थापित किया। इसके बाद व्यासपीठ पर विराजित होकर कथा व्यास पंडित मोहितरामजी पाठक ने शिव तत्व को जीवन का आधार बताते हुए शिवपुराण कथा का वाचन शुरू किया। कथा प्रतिदिन दोपहर दो से शाम चार बजे तक होगी। आध्यात्मिक चिंतन व श्रवण कार्यक्रम में कथा के प्रथम दिवस उन्होंने शिव प्राकट्य की कथा सुनाई। माता पार्वती का प्राकट्य क्यों हुआ, उस कथा का वाचन किया। आत्मिक ख़ुशी ही सफल जीवन जीने का सूत्र है। इस संबंध में जानकारी देते हुए पार्वती शिव भक्त मंडल समिति ने बताया कि सभी के सहयोग से शहर के प्रसिद्ध मानस भवन प्रांगण में श्रावण मास एवं अधिक मास महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में पांच दिवस शिव महापुराण का संत पंडित मोहितरामजी पाठक द्वारा वाचन किया जा रहा है। इस मौके पर यहां पर स्थापित रुद्राक्षों का आचार्यों सहित अन्य विप्रजनों के द्वारा पंचामृत से अभिषेक किया गया। इस मौके कई वर्षों के बाद यह सावन मास और अधिक मास का संयोग हमें मिला है, इसलिए भगवान की भक्ति का श्रवण करें। कथा के प्रथम दिवस सीहोर से पधारे गुरुदेव की वाणी सुनकर श्रोता जन पंडाल में झूम उठे। साथ में बड़ी संख्या में समिति के पदाधिकारियों के अलावा श्रद्धालु मौजूद थे।

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