सीहोर। जीवन में तीन का आशीर्वाद जरूरी है, बचपन में मां का, जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का। मां बचपन को संभाल देती है, महात्मा जवानी सुधार देता है और बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेता है, इसलिए कहा गया है मां, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर कुछ नहीं है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी जोड़ के समीपस्थ संकल्प वृद्धाश्रम में विठलेश सेवा समिति, श्रद्धा भक्ति सेवा समिति, संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र और जिला संस्कार मंच के संयुक्त तत्वाधान में जारी तीन दिवसीय शिव महापुराण के पहले दिवस अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सुपुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहे। कथा के पूर्व शहर के सैकड़ाखेड़ी अंजलीधाम स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर से भव्य कलश यात्रा का शुभारंभ किया गया। इस कलश यात्रा में एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने कलश धारण किए हुए थे। शनिवार की सुबह पूर्ण विधि-विधान से आधा दर्जन से अधिक विप्रजनों की उपस्थित में पूजा-अर्चना के साथ कथा का शुभारंभ किया गया। कथा का समापन सोमवार को किया जाएगा, इस मौके पर प्रसादी का वितरण किया जाएगा। कथा के अंत में विठलेश सेवा समिति के व्यवस्थापक पंडित समीर शुक्ला, विनय मिश्रा, कथा वाचक चेतन उपाध्याय, कथा मुख्य यजमान वीपी सिंह, श्रीमती विमला सिंह, राहुल सिंह, श्रीमती निशा सिंह, जिला संस्कार मंच की ओर से जितेन्द्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, माहेश्वरी महिला मंडल की अध्यक्ष आभा कासट, डॉ. गगन नामदेव, पंडित गणेश शर्मा, हरिओम दाऊ, प्रदीप साबू, अल्पना सुनील काबरा, नटवर सिंह, विकास अग्रवाल, अमित जैन, धर्मेन्द्र शर्मा, अमित जैन, कमलेश राय, बाबू सिंह आदि शामिल थे।
जैसा बीज बोएंगे वैसा ही फल पाएंगे –
पति-पत्नी को एक-दूसरे के लिए विश्वास और ईमानदारी रखनी चाहिए
कथा के पहले दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि पति-पत्नी के बीच आपसी तालमेल बिगड़ता है तो रिश्ता भी बिगडऩे लगता है। इस रिश्ते में आपसी भरोसा होना सबसे ज्यादा जरूरी है। पति-पत्नी एक-दूसरे का भरोसा तोड़ते हैं तो मैरिड लाइफ बर्बाद हो जाती है। ये बात शिव महापुराण की एक कहानी से समझ सकते हैं। शिव महापुराण में चंचुला और बिंदुक की कहानी है। इन दोनों की शादी हो गई थी। शादी के बाद से बिंदुक चंचुला को छोड़कर दूसरी महिलाओं के साथ रहता था। बिंदुक का आचरण बहुत गिर गया था। बहुत समय तक चंचुला ने पति की गलतियों को नजरअंदाज किया और धैर्य रखा। पति को सुधारने की कोशिशें कीं, लेकिन बिंदुक का आचरण नहीं सुधरा। पति की उपेक्षा के चलते चंचुला का मन भी दूसरे पुरुषों की ओर भटकने लगा। अब वह भी अपने आचरण से गिर गई थी। पति-पत्नी दोनों ने एक-दूसरे का भरोसा तोड़ दिया था। कुछ दिनों के बाद बीमारी की वजह से बिंदुक मर गया। अब चंचुला अकेली रह गई। एक दिन उसे प्रायश्चित हुआ कि मैंने पति की तरह ही गलत काम किए हैं। इस पछतावे के बाद चंचुला ने शिवपुराण की कथा सुनी। कथा से उसे ज्ञान मिला कि शिव कथा सुनने से मन शांत रहता है। वह शिव जी की भक्ति करने लगी थी। जब चंचुला की मृत्यु हुई तो उसकी आत्मा शिव लोक पहुंची। शिव लोक में देवी पार्वती ने चंचुला का साथ दिया और शिव जी से कहा कि इस स्त्री का दोष है, इसने भी अपने पति की तरह गलत काम किए हैं, लेकिन इसने ये सब पति की उपेक्षा की वजह से किए हैं। इसलिए इसे मोक्ष मिलना चाहिए। इसके बाद शिव जी और देवी पार्वती ने बिंदुक-चंचुला की आत्माओं से कहा कि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी को एक-दूसरे के लिए विश्वास और ईमानदारी रखनी चाहिए।