
सीहोर। इस वर्ष दीपोत्सव का महापर्व शनिवार से शुरू होकर अगले गुरुवार तक पूरे छह दिनों तक उत्साह और शुभ संयोगों के बीच मनाया जाएगा। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार कार्तिक मास की यह अवधि खरीदारी के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है, इसलिए इस दौरान लोग वस्त्र, आभूषण और बर्तन आदि की अधिकतम खरीद करते हैं।
पंडित सुनील शर्मा ने बताया कि दीपोत्सव की शुरुआत शनिवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में होगी। इस दिन प्रदोष व्रत के साथ धनतेरस मनाई जाएगी और भगवान धन्वंतरि की जयंती होगी। मान्यता है कि इस दिन पूजन करने से पूरे वर्ष सुख सौभाग्य और आरोग्यता बनी रहती है।
रविवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के संयोग में रूप चतुर्दशी (छोटी दिवाली) रहेगी। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ बना देगा।
हस्त नक्षत्र में महालक्ष्मी पूजन
पंडित शर्मा के मुताबिक मुख्य दीपावली सोमवार को हस्त नक्षत्र में मनाई जाएगी। शास्त्र सम्मत है कि प्रदोष काल में अमावस्या तिथि का होना श्रेष्ठतम होता है, इसलिए सोमवार शाम को शुभ मुहूर्त में श्री गणेश, माता सरस्वती, माता लक्ष्मी, गौमाता और कुबेर आदि देवताओं की पूजा अर्चना की जाएगी। दीपावली के दिन भूमि, भवन, दुकान या नई योजनाओं का शुभारंभ करना अति उत्तम माना जाता है। इस दिन श्रीयंत्र की विशेष पूजा का भी विधान है।
गोवर्धन पूजा और भाई दूज
मंगलवार को चित्रा नक्षत्र में स्नान-दान अमावस्या रहेगी। इस दिन मुख्य रूप से पितरों की पूजा का विधान है।
बुधवार को स्वाति नक्षत्र में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन गौमाता के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।
गुरुवार को विशाखा नक्षत्र में भाई दूज का पर्व रहेगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी सफलता और सुख समृद्धि की कामना करेंगी। धार्मिक महत्व के अनुसार इस दिन यमुना में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।