
सीहोर। अक्षय तृतीया पर जिले में तीन बालिकाओं के बाल विवाह कराने की तैयारियां थीं, लेकिन समय रहते सूचना मिल गई। इसके बाद टीम ने जाकर ये बाल विवाह रुकवाए। समझाईश के बाद परिजन भी मान गए और उन्होंने बालिकाओं की शादी 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद करने का कहा।
बाल विवाह को रोकने एवं लोगों को बाल विवाह के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर के निर्देश पर बाल विवाह रोकथाम दलों का गठन किया गया था। अक्षय तृतीया के अवसर पर दलों द्वारा बाल विवाह पर सतत निगरानी रखी गई। बाल विवाह की सूचना मिलने पर जिले में तीन बाल विवाह रोके गए। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रफुल्ल खत्री ने बताया कि महिला एवं बाल विकास, पुलिस विभाग, कोर सदस्यों के दल द्वारा नसरूल्लागंज के ग्राम डिमावर में 2 एवं लाड़कुई के टिकामोड में एक बाल विवाह रोका गया। सूचना मिलने पर दलों ने संबंधित के घर पहुंचकर बालिकाओं की आयु के संबंध में दस्तावेज मांगे। परिजनों द्वारा बालिकाओं की आयु के प्रमाण के लिए दस्तावेज दिखाए गए, जिससे बालिकाओं की आयु 18 वर्ष पूर्ण होना नहीं पाया गया। दल द्वारा माता-पिता को ग्रामवासियों के समक्ष बाल विवाह नहीं करने की समझाईश दी गई। जिस पर परिवार के लोगों ने सहमति व्यक्त की एवं बालिका का विवाह 18 वर्ष के पश्चात करने के लिए राजी हो गए।
लगातार सामने आ रहे हैं बाल विवाह-
बाल विवाह रोकने को लेकर तमाम प्रयास के बाद भी इनके मामले सामने आ रहे हैं। लगातार इसके लिए सरकार द्वारा अभियान चलाकर लोगों को जाकरूक करने के प्रयास भी किए जाते रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी बाल विवाह के मामले आ रहे हैं। पिछले तीन वर्षों के आंकड़े देखें तो वर्ष 2019-20 में 9 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2020-21 में 10 मामले पकड़ाए, जबकि कोरोनाकाल के कारण इस वर्ष शादियां भी बेहद कम हुर्इं। इसी तरह वर्ष 2021-22 में 30 मार्च तक की स्थिति में 16 बाल विवाह के प्रकरण सामने आए थे।