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दो-दो टेस्टिंग लैब, अधिकारियों की नजर, फिर भी सलकनपुर में हो रहा घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग

- सलकनपुर में मेला ग्राउंड पर बन रही हैं 102 दुकानें, मिट्टी मिली हुई रेत एवं गिट्टी का हो रहा उपयोग

रेहटी। मां बिजासन धाम सलकनपुर को मुख्यमंत्री की मंशानुरूप भव्यता प्रदान करने के लिए लगातार निर्माण एवं विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पर्यटन निगम द्वारा सलकनपुर के मेला ग्राउंड पर 102 दुकानों का निर्माण कार्य चल रहा है। इन निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही रेत, गिट्टी बेहद घटिया क्वालिटी की उपयोग की जा रही है। मिट्टी मिली हुई रेत एवं गिट्टी से माल बनाया जा रहा है। ऐसे में पुख्ता निर्माण कार्य की मंशा कैसे पूरी होगी। इधर अधिकारियों एवं ठेकेदार का तर्क है कि जो सामग्री उपयोग की जा रही है उसकी दो-दो बार लैब में टेस्टिंग की जा रही है, जबकि मौके पर पड़ी हुई रेत एवं गिट्टी बेहद घटिया क्वालिटी की हैं।
सलकनपुर के विकास के लिए सरकार करोड़ों रुपए की राशि खर्च करके विश्व स्तर का स्थान बनाने की कवायद में जुटी हुई है, लेकिन भ्रष्ट सिस्टम ने यहां भी अपनी कार्यप्रणाली को नहीं बदला। यही कारण है कि सलकनपुर में निर्माण कार्य के लिए आ रही रेत बेहद घटिया क्वालिटी की बुलाई जा रही है। इसी तरह गिट्टी भी यहां घटिया उपयोग की जा रही है। इसी तरह लोहा भी उच्च स्तर का नहीं है।
26 करोड़ का प्रोजेक्ट, डेटलाइन जुलाई-23 तक-
सलकनपुर में मेला ग्राउंड पर बन रही दुकानें एवं निर्माण कार्य के लिए अंतिम डेटलाइन जुलाई-23 तक की तय की गई है, लेकिन जिम्मेदारों का दावा है कि वे अप्रैल तक काम खत्म कर देंगे। इस प्रोजेक्ट का टेंडर 26 करोड़ रुपए में एमके इंजीनियर्स ग्रुप भोपाल को दिया गया है। जल्दी निर्माण कार्य खत्म करने के लिए अब घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
इनका कहना है-
सलकनपुर में चल रहे निर्माण कार्य की सामग्री को लैब में टेस्ट किया जाता है। उसके बाद ही उसका उपयोग किया जा रहा है। निर्माण कार्यों का पर्यटन निगम के इंजीनियरों द्वारा लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। मैं खुद भी निरीक्षण करता हूं। मंदिर की दुकानें बनाई जा रही हैं, ऐसे में घटिया सामग्री का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
– ब्रजेश तिवारी, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, पर्यटन विकास निगम
सलकनपुर में चल रहे निर्माण कार्य के लिए टेस्टिंग लैब में सामग्री की जांच की जा रही है। विभाग के अधिकारियों एवं मंदिर समिति की निगरानी में कार्य चल रहा है। जिला अधिकारियों द्वारा भी लगातार कार्य का निरीक्षण किया जा रहा है। ऐसे में घटिया सामग्री का उपयोग करने का सवाल ही नहीं उठता।
– मनोज कुमार जैन, ठेकेदार, एमके इंजीनियर्स ग्रुप, भोपाल

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