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कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पर भ्रष्टाचार का आरोप, छात्रों ने सौंपा ज्ञापन

सीहोर। आरएके कॉलेज के विद्यार्थियों ने गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। नारेबाजी करते हुए छात्रों ने कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। छात्रों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम डिप्टी कलेक्टर वंदना राजपूत को ज्ञापन सौंपते हुए अवैध मर्जर प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की।
विद्यार्थियों का आरोप है कि कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में कार्यरत कर्मचारियों से लाखों रुपये की वसूली कर उन्हें अवैध रूप से सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक और वैज्ञानिक पदों पर मर्ज किया जा रहा है। छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस प्रक्रिया पर शीघ्र रोक नहीं लगाई, तो प्रदेश के 12 कृषि महाविद्यालयों में उग्र आंदोलन किया जाएगा और छात्र सड़कों पर उतरेंगे। छात्रों ने कहा कि प्रस्तावित मर्जर से कृषि कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलपति द्वारा कृषिमंत्री पर दबाव डालकर यह प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है, जिससे योग्य अभ्यर्थियों के रोजगार के अवसर समाप्त हो जाएंगे।
करोड़ों के दुरुपयोग की आशंका
विद्यार्थियों ने बताया कि पदों पर अवैध मर्जर की प्रक्रिया शुरू होने से करोड़ों रुपये के दुरुपयोग और बंदरबांट की गंभीर आशंका है। इस विषय पर विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में चर्चा तो हो रही है, लेकिन कुलपति के भय से कोई भी शिक्षक खुलकर सामने नहीं आ रहा है। छात्रों का कहना है कि वे सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक और वैज्ञानिक बनने का सपना लेकर वर्षों की मेहनत से पीएचडी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करते हैं। ऐसे में प्रस्तावित मर्जर से उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा और छात्रों व युवाओं के साथ घोर अन्याय होगा।
नए अभ्यर्थियों के अवसर होंगे खत्म
विद्यार्थियों ने स्पष्ट किया कि कृषि विज्ञान केंद्रों का मूल उद्देश्य विस्तार कार्य, प्रसार गतिविधियां और कृषक-केन्द्रित सेवाएं प्रदान करना है। केवीके में कार्यरत कर्मचारी शैक्षणिक कैडर का हिस्सा नहीं होते। उन्हें विश्वविद्यालय महाविद्यालयों के शैक्षणिक पदों में समायोजित करना नियमों के विरुद्ध और पूर्णतः अवैध है।
छात्रों ने दी चेतावनी
छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि गैर-शैक्षणिक कैडर के कर्मचारियों को सीधे शैक्षणिक पदों पर मर्ज किया गया, तो नए और योग्य अभ्यर्थियों के लिए रिक्तियां लगभग समाप्त हो जाएंगी। इससे छात्रों के मनोबल, करियर और भविष्य पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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