नई दिल्ली। देश के मध्यमवर्ग अमूमन पारंपरिक व्यवसायों या इनसे संबंधित काम से जुडा होता है। केंद्र सरकार ने इन्हीं को ध्यान में रखते हुए विश्वकर्मा योजना लांच की है। 17 सितंबर को यानी विश्वकर्मा जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की। योजना की इस देशव्यापी लांचिंग में केंद्र सरकार के 70 मंत्री देश के 70 स्थानों पर मौजूद रहे और कार्यक्रम के साक्षी बने। योजना के लिए शुरुआती फंड 13 हजार करोड रुपए निर्धारित किया गया है। इस योजना को एमएसएमई, कौशल विकास और वित्त मंत्रालय मिलकर लागू करेंगे।
कौन सा मंत्री कहां रहा मौजूद
विश्वकर्मा योजना की लॉन्चिंग के मौके पर देश के चुने गए 70 स्थानों पर 70 मंत्री मौजूद रहे। कार्यक्रम के लिए गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद, राजनाथ सिंह लखनऊ, महेंद्र नाथ पांडे वाराणसी, स्मृति ईरानी झांसी, गजेंद्र सिंह शेखावत चेन्नई, भूपेंद्र यादव जयपुर, नरेंद्र सिंह तोमर भोपाल, एस जयशंकर तिरुवनंतपुरम में रहे। नितिन गडकरी नागपुर, अश्विनी वैष्णव भुवनेश्वर और अनुराग ठाकुर शिमला में रहे।
इन व्यवसाओं में मिलेगा फायदा
कारपेंटर (बढ़ई), नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले (मरम्मतकार), हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राज मिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी, मछली का जाल बनाने वाले।
ये है योजना की खासियत
- योजना में बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी।
- एक लाख रुपए तक का लोन दिया जाएगा, जिस पर 5 प्रतिशत ब्याज देना होगा।
- ट्रेनिंग के दौरान 500 रुपए प्रतिदिन स्टायपेंड मिलेगा।
- दूसरे चरण में 2 लाख रुपए तक का लोन मिलेगा।
- टूल खरीदने पर सरकार 15 हजार रुपए का सपोर्ट देगी।
- ब्रांडिंग और आनलाइन मार्केट एक्ससे के लिए सपोर्ट।