
सीहोर। कोठरी स्थित वीआईटी भोपाल यूनिवर्सिटी ने राज्य सरकार के कारण बताओ नोटिस का 49 पन्नों के भारी-भरकम दस्तावेज के साथ जवाब दिया है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सरकार के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया है कि कैंपस में हुआ बवाल छात्रों की परेशानी नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर फैली ‘फेक न्यूज’ और अफवाहों का नतीजा था। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि पीलिया के चंद मामले थे जिसे बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया।
वीआईटी प्रबंधन ने अपने जवाब में सफाई दी कि 8 बॉयज और 2 गल्र्स हॉस्टल के लिए भोजन व्यवस्था इंदौर, भोपाल और चेन्नई के प्रतिष्ठित केटरर्स द्वारा की जाती है। भोजन मेन्यू मासिक आधार पर स्टूडेंट फूड कमेटी तय करती है और छात्र फीडबैक पर तुरंत एक्शन लिया जाता है। पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच आईएसओ 10500 मानकों के अनुसार होती है। कैंपस में उन्नत ओजोनाइजर, सैंड फिल्टर्स और वॉटर सॉफ्टनर लगाए गए हैं।
टेस्टिंग लैब
प्रबंधन ने घोषणा की है कि जल्द ही कैंपस में फूड और वॉटर टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएगी, जिसके परिणाम विश्वविद्यालय पोर्टल पर सार्वजनिक किए जाएंगे।
पीलिया के मामलों पर स्पष्टीकरण
यूनिवर्सिटी ने दावा किया कि कुल 17,121 छात्रों में से केवल 35 विद्यार्थियों में ही पीलिया के लक्षण पाए गए। उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता दी गई। कैंपस में 8-बेड की मेडिकल सुविधा, 4 डॉक्टर और 6 नर्सें 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं। गंभीर मामलों को चिरायु अस्पताल और अन्य मान्यता प्राप्त अस्पतालों में रेफर किया जाता है। छात्रों की मेडिकल रिपोर्ट न दिए जाने के आरोप को तथ्यहीन बताते हुए कहा गया कि यह रिकॉर्ड पहले ही संबंधित समिति को सौंपा जा चुका है।
विरोध-प्रदर्शन की वजह फेक न्यूज
वीआईटी प्रशासन ने दावा किया कि विवाद की मुख्य वजह फेक न्यूज और अफफवाहें थीं। 25 नवंबर को सोशल मीडिया पर तीन छात्रों की मौत और 300 के गंभीर हालत जैसी फर्जी खबरें फैलाई गईं। छात्र वॉट्सएप ग्रुप में भड़क़ाऊ संदेश प्रसारित हुए, जिसके बाद कुछ छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया।
परिसर में तोडफ़ोड़
प्रबंधन ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान एक एम्बुलेंस, एक बस और तीन कारों को जला दिया गया। हॉस्टल व सर्विलांस बिल्डिंग का सीसीटीवी सिस्टम नष्ट किया गया। साथ ही लैब कॉम्प्लेक्स में तोडफ़ोड़ कर कंप्यूटर हार्डवेयर और गेमिंग च्ब्े को नुकसान पहुंचाया गया। वार्डन और सुरक्षा कर्मियों पर दुव्र्यवहार और शारीरिक हमले भी हुए।
प्रबंधन की मांग, नोटिस वापस लिया जाए
यूनिवर्सिटी ने सरकार से अपील की है कि शो-कॉज नोटिस असत्य और अपुष्ट सूचनाओं पर आधारित है, जबकि संस्थान ने सभी मानकों का पालन किया है। वीआईटी भोपाल ने सरकार से नोटिस वापस लिए जाने और सुनवाई का अवसर देकर तथ्यों को स्पष्ट करने की मांग की है। जवाब में संस्थान ने 2017 में स्थापना के बाद से अपनी उपलब्धियां जैसे वैश्विक एमओयू 100 प्रतिशत डॉक्टरेट फैकल्टी और मजबूत प्लेसमेंट रिकॉर्ड का भी उल्लेख किया है।