सीहोर। सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा सीट से भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष इंजीनियर गोपाल सिंह कोे टिकट देेकर मैदान में उतारा है। कांग्रेस पहले ही कमल चौहान को यहां से प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, लेकिन अब भाजपा की सूची आने के बाद से आष्टा विधानसभा में टिकट के दावेदार अन्य नेता बगावत पर उतर आए हैं। आष्टा से भाजपा प्रत्याशी तक बदलने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई जा रही है। आष्टा से टिकट के दावेदार अन्य भाजपा नेताओें के एक गुट की बैठक भी हुई है। इसमें बड़ी संख्या में उनके समर्थक सहित जनप्रतिनिधि भी पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि इस बैठक में पूर्व विधायक, जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत सदस्य सहित ग्राम पंचायतों के सरपंच भी पहुंचे और सभी ने एक सुर में भाजपा प्रत्याशी का विरोध दर्ज कराया है।
आष्टा की राजनीति इस समय बेहद गरमाई हुई है। दरअसल यहां पर भाजपा में टिकट के दावेदार वर्तमान विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय थे तो वहीं वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता कैलाश बगाना, सोनू गुणवान, ओमप्रकाश मालवीय सहित अन्य भी अपनी पुख्ता दावेदारी जता रहे थेे, लेकिन भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष इंजीनियर गोपाल सिंह कोे यहां सेे मैदान में उतारा है। इंजीनियर गोपाल सिंह वर्ष-2008, वर्ष-2013 और वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट सेे आष्टा के चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं, लेकिन वे जीत नहीं दर्ज करा सके थे। इसके बाद इस बार हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव से पहले उन्होेंने भाजपा का दामन थामा था। इसके बाद भाजपा ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद से भी नवाजा था। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में जीत केे बाद इंजीनियर गोपाल सिंह को फिर से जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाया गया। अब उन्हें आष्टा विधानसभा सीट से टिकट भी दिया गया है। इससे आष्टा विधानसभा क्षेत्र के भाजपा नेता बेहद नाराज हैं और अब उनकी लगातार बैठकें होे रही है। सूत्रों की मानेें तो भाजपा केे अन्य दावेदार निर्दलीय भी मैदान में उतर सकते हैैं।
ये रहा है आष्टा का चुनावी गणित-
आष्टा विधानसभा सीट पर वर्ष 1977 से लेकर 1993 तक भाजपा और कांग्रेस में ही सीधी टक्कर होती रही है। हालांकि वर्ष 1998 के बाद से यहां पर एक नई क्षेत्रीय पार्टी का उदय हुआ। इसके कारण भाजपा और कांग्रेस केे समीकरण गड़बड़ा गए। आष्टा विधानसभा क्षेत्र में प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी का उदय हुआ जो केवल आष्टा विधानसभा क्षेत्र में ही सक्रिय नजर आई। आष्टा तहसील के ग्राम हाकिमाबाद के युवा नेता फूलसिंह चौहान ने अपने साथियों के साथ इस पार्टी का गठन किया था। इसके बाद उन्होेंने पार्टी के उद्देश्यों को लेकर गांव-गांव में पहुंचकर लोगोें कोे पार्टी से जोड़ा और उनको पार्टी की रीति-नीति से अवगत कराया। युवा नेता फूलसिंह चौहान ने पिछड़े, शोषित, वंचित लोगों खासकर इस वर्ग के युवाओं को अपनी तरफ लाने में सफलता भी पाई और वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में इस दल की धमाकेदार एंट्री हुई। 1998 के चुनाव में इस प्रसपा के उम्मीदवार पार्टी के संस्थापक फूलसिंह चौहान ने करीब 16 हजार से अधिक (18 प्रतिशत से अधिक) वोट प्राप्त कर एक ओर जहां मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया, वहीं भाजपा-कांग्रेस के लिए चिंता भी खड़ी कर दी। 1998 के बाद से 2018 तक हुए 4 चुनाव में इस दल के उम्मीदवार के कारण हर बार मुकाबला त्रिकोणीय ही हुआ। 1998 एवं 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद 2004 में इस दल के संस्थापक अध्यक्ष फूलसिंह चौहान का निधन हो गया। उसके बाद इस दल की कमान इनके भाई कमल चौहान ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर संभाली और उसके बाद 2008, 2013, 2018 के चुनाव में कमलसिंह चौहान चुनाव लड़े और मुकाबले को हर बार त्रिकोणीय बनाने में सफल रहे। इस बार वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैैं। ऐसे में भाजपा के लिए भी आष्टा विधानसभा क्षेत्र में मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा में विरोध कहीं पार्टी केे लिए मुसीबत न बन जाए।