वेयर हाउस संचालक सरकार को राजस्व का भी लगा रहे चूना

- 3 से 5 एकड़ जमीन पर बनाए वेयर हाउस, नहीं भर रहे भू-राजस्व

सीहोर। जिले सहित रेहटी तहसील के बने वेयर हाउसों के संचालक जहां किसानों से उनकी उपज में जमकर हेरा-फेरी करते हैं तो वहीं सरकार को राजस्व का भी चूना लगा रहे हैं। रेहटी तहसील में कई वेयर हाउस संचालक ऐसे हैं, जिनके एक से अधिक वेयर हाउस हैं। ये वेयर हाउस इन्होंने 3 से 5 एकड़ तक जमीन पर बना रखे हैं, लेकिन ये सरकार को देने वाला भू-राजस्व कुछ डिस्मिल जमीन का ही देते हैं। स्थिति यह है कि ये भी समय पर जमा नहीं कराया जाता है। इसके लिए भी राजस्व विभाग के अमले में मान-मनुहार करनी पड़ती है।
रेहटी तहसील में जहां मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कारपोरेशन एवं वेयर हाउस संचालकों की मिलीभगत से जहां सरकार को हर वर्ष करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है तो वहीं वेयर हाउसों के संचालक राजस्व विभाग को भी जमकर पलीता लगा रहे हैं। रेहटी तहसील में कई वेयर हाउस संचालकों के एक से अधिक वेयर हाउस हैं। ये वेयर हाउस इन्होंने 3 से 5 एकड़ तक की जमीन पर बनाए हैं, लेकिन जमीनों का डायसर्वन कम करवाया है, इससे इन्हें भू-राजस्व भी कम भरना पड़ता है। ये भू-राजस्व भी समय पर नहीं भरते हैं, जबकि ये हर वर्ष भरना होता है।
खरीदी में भी करते हैं हेरा-फेरी-
वेयर हाउसों पर किसानों से समर्थन मूल्य पर उनकी उपज खरीदी जाती है। इसमें भी मिलीभगत का ऐसा खेल चलता है कि इससे जहां सरकार को हर वर्ष लाखों-करोड़ों का चूना लगाया जाता है तो वहीं एमपी वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कारपोरेशन के जिम्मेदार, खरीदी करने वाली समिति एवं वेयर हाउस प्रबंधक मिलकर अपना भला करते हैं। खरीदी के खेल में किसानों के बिल बना दिए जाते हैं और उपज का पता ही नहीं रहता। ऐसा ही मामला तहसील के चौहान वेयर हाउस का भी है, जहां पर मूंग खरीदी ही नहीं गई और बिल बनाकर उसका पैसा ले लिया गया। अब इस मूंग की चोरी बताकर इसकी एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। इस मामले में पुलिस भी चोरों तक नहीं पहुंच सकी है। यह सारा खेल वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के जिम्मेदार एवं वेयर हाउस संचालक की मिलीभगत से ही संभव हो पाता है।