जहां हो मां पार्वती, जहां हो शंकर वही आस्था की नगरी आष्टा: पं.मोहितरामजी
आष्टा। सृष्टि के कण-कण में भगवान भारत का कंकड़-कंकड़ शंकर मां पार्वती का जल-जल अमृत है। महादेव उसी मां पार्वती के किनारे में भगवान शंकर का निवास है और जहां भगवान निवास करते हैं उसे कहते हैं शिवालय। जहां भोला भूत भावन शंकर निवास करते हैं। उस स्थान को शिवालय कहते हैं। जिसके दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप छूट जाते हैं। उक्त उद्गार नगर आष्टा में चल रही सप्त दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस कथा व्यास पंडित मोहित राम जी पाठक सीहोर नगरी वालों ने कहे। आगे कथा में वर्णन करते हुए कहा कि जिस दिन मां भारती को खंड-खंड किया गया था। हम सबको मिलकर अपना भारत को अखंड बनाना है। यही भगवान की प्रतिज्ञा है कि भगवान का मंगल नाम सारे पापों का हरण करता है, इसलिए हम सभी को शिव नाम की भगवत नाम की शरण ग्रहण करना चाहिए। सोमनी नाम की ब्राह्मणी ने दो बार शिव-शिव कहा उसके सारे पाप नष्ट हो गए। हम सबको भी शिव की शरण ग्रहण करना चाहिए, जिससे कि हमें हमारे पापों से छुटकारा मिल जाए। भगवान महाबलेश्वर शिव की शरण ग्रहण करें। तृतीय दिवस की कथा में भगवान का मंगलमय शिव विवाह बड़ी दिव्य झांकी और धूमधाम से मनाया गया। श्रीशिव महापुराण कथा में बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्र से शिव भक्त पधार रहे। आयोजन समिति ने भी सभी लोगों को कथा में पधार कर धर्म लाभ लेने का आग्रह किया है।
महादेव के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता-
पंडित मोहितरामजी पाठक ने कहा कि भगवान शंकर के दरबार में जो भी आता है कभी खाली नहीं जाता। भगवान शिव की कृपा से आपको मानव शरीर मिला है। शिव कृपा से सत्य सनातन धर्म में जन्म मिला अच्छा घर कुल मिला। बिना भगवान की कृपा के शिव की कृपा के एक पत्ता भी नहीं हिलता है। यह शरीर यह प्लान यह कथा यह संसार भगवान की कृपा है शिव कृपा करते तभी फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि यदि सनातन में जन्म मिला। शिव मंदिर शिवालय के दर्शन, शिव कथा की प्राप्ति, सोमवार का व्रत, अच्छा घर, अच्छे संस्कार, यहां सब शंकर की कृपा से प्राप्त होते हैं। यह आष्टा की भूमि मां पार्वती की भूमि है जिस का जल अमृत है। कंकड़-कंकड़ शंकर है जल की एक-एक बूंद अमृत है ऐसी इस पावन भूमि पर शिव कृपा से शिव कथा हो रही है और श्रवण मास अधिक मास में अमृत को हम सबको मिलकर प्राप्त करना चाहिए। 3 साल में एक बार आने वाले अधिक मास ने भगवान की कृपा से हमें शिव कथा प्राप्त हुई। यही शिव कृपा है आयोजन समिति मां पार्वती शिव शिष्य मंड़ल ने समस्त क्षेत्रवासियों से कथा में अधिक से अधिक प्यार का धर्म लाभ लेने का आग्रह किया। कथा के तृतीय दिवस बड़ी धूमधाम से भगवान शिव माता पार्वती का विवाह महोत्सव मनाया गया।