
भोपाल-सीहोर। अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा वर्ष 2014 के आईएएस अधिकारी रहे डॉ. वरदमूर्ति मिश्र ने अपनी 26 साल की नौकरी के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। वे एक नई पार्टी बनाकर अब राजनीतिक अखाड़े में कूदेंगे।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. वरद मूर्ति मिश्र ने बताया कि अपने 26 वर्ष के सेवाकाल के दौरान उन्होंने यथासंभव जनमानस के लिए बेहतर काम करने की कोशिश की। प्रशासनिक तंत्र में रहते हुए व्यवस्था में सुधार और समाज के विकास हेतु अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दिया। तंत्र के भीतर रहते हुए यह स्पष्ट हो गया था कि पूरा तंत्र लगभग समाप्तप्राय है एवं यह दिनोंदिन नागरिकों से दूर होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि तंत्र में जनोन्मुखी व्यवस्था समाप्त हो चली है। तंत्र मजबूतों के पक्ष में खड़ा दिखाई देता है, इसलिए तंत्र के भीतर रहकर आपके पास सुधार के अवसर सीमित हैं, इसलिए इस तंत्र को और भी ज्यादा बेहतर बनाने और जनता के करीब जाकर उनकी जमीनी समस्याओं के समाधान तलाशने के लिए राजनीति में ही आना चाहिए, क्योंकि राजनीति में लोकहित हेतु निर्णय लेने की ज्यादा शक्ति होती है।
कोरोना में लोग मर रहे थे, लेकिन नहीं थी कोई कार्ययोजना-
डॉ. वरदमूर्ति मिश्र ने कहा कि कोरोना काल के दौरान लगातार मौतें हो रही थी, उस दौरान भी सरकार की कोई कार्ययोजना नजर नहीं आई। सरकार की नाकामियों की वजह से मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो चुकी है। प्रदेश की वित्तीय स्थिति भी असंतुलित हो चुकी है। सालाना बजट से भी ज्यादा के ऋणभार का बोझ आज जनता के ऊपर है। प्रदेश के समग्र विकास हेतु अब तक राज करती आईं पिछली सभी सरकारों की ना तो नियत दिखी ना ही कोई प्रभावी नीति। वास्तव में आज की सरकार विकास के किसी भी मानक पर खरा उतरते नहीं दिख रही है। मध्य प्रदेश के लोगों की अपनी पहचान संस्कृति पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं। यहां आज विकास एवं नागरिकों को मजबूत करने वाले बदलाव की सख्त जरूरत है। मध्य प्रदेश के अन्दर एक ऐसी व्यवस्था की जरुरत है जहाँ सभी के सपने पूरे हों, जहाँ समरसता हो और जहाँ कानून सबके लिए एक जैसा हो। एक ऐसा समाज जो संविधान में वर्णित कल्याणकारी राज्य के मानकों पर खरा उतरे।
अब जरूरत है बदलाव की-
डॉ. वरदमूर्ति मिश्रा ने कहा कि भोगौलिक रूप से देश के केंद्र में स्थित होने, मानव संसाधन की संपन्नता, खनिज संसाधनों की प्रचुरता, प्रकृति, इतिहास व वन्यजीवन की समृद्धि के बावजूद मध्यप्रदेश का लगातार पिछड़ापन अब बदलाव की मांग करता है। मध्य प्रदेश की सियासत में नए विचारों, नीतियों और एक नई विचारधारा की जरूरत है। मध्य प्रदेश को एक नए व प्रभावी विकल्प की तत्काल आवश्यकता है जो मध्य प्रदेश के अंदर से ही आना चाहिए क्योंकि मध्य प्रदेश की अस्मिता, स्वाभिमान व सम्मान को केवल मध्य प्रदेश का व्यक्ति ही भलीभांति समझ सकता है, कोई बाहरी नहीं। विकल्प का स्थानीय होना भी आवश्यक है ताकि जनता मौका आने पर संकल्पित विकल्प से आमने-सामने होकर बात कर सके, प्रश्न पूछ सके और मीडिया के साथ सीधा संवाद स्थापित कर सके। पिछले करीब बीस सालों के शासन में किसी भी विचार और किसी भी सरकार ने मध्य प्रदेश के लोगों का भला नहीं किया। झूठे आंकड़ों और इवेंट पॉलिटिक्स करके जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। इन बीस सालों में बेहाल हुई जनता के अधिकारों का सवाल है। ये म.प्र. का सवाल है। यह मध्य प्रदेश की जनता के अधिकारों का सवाल है।