राजनीतिक

चिंतन शिविर से पहले बड़ी तैयारी में कांग्रेस

नई दिल्ली
कांग्रेस का उदयपुर में चिंतन शिविर होने वाला है और उससे पहले पार्टी की कई कमेटियां प्रस्ताव तैयार करने में जुटी हैं। इनमें से ही एक अहम प्रस्ताव पार्टी के अंदर कमजोर वर्ग के नेताओं को आरक्षण देने का है। दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं को संगठन में 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर विचार चल रहा है। इसके अलावा पार्टी के ढांचे में भी बदलाव करने की तैयारी है। इन प्रस्तावों को पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी के समक्ष रखा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे चिंतन शिविर में पेश किया जाएगा।

शनिवार देर रात तक कांग्रेस की ओर से गठित कमेटियों की मीटिंग चलती रही। इसकी वजह यह है कि जिन प्रस्तावों को तैयार किया जा रहा है, उन्हें सोमवार को दिल्ली में होने वाली वर्किंग कमेटी की बैठक में पेश किया जाएगा। फिलहाल कांग्रेस के संगठन में ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं के लिए 20 फीसदी के आरक्षण का ही प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 50 पर्सेंट किए जाने का प्रस्ताव है। नेताओं का कहना है कि जो प्रस्ताव तैयार किया गया है, उसके मुताबिक ब्लॉक कमेटी से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक यह आरक्षण रहेगा। इसके जरिए सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने की कोशिश की जाएगी।

हिंदुत्व का मुकाबला सामाजिक न्याय से करने की तैयारी
दरअसल कांग्रेस के नेताओं को ऐसा लगता है कि इसके जरिए वे कमजोर वर्गों में यह बता सकेंगे कि पार्टी में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी की लगातार हो रही हार की वजह यह है कि कोई भी वर्ग पूरी तरह से कांग्रेस के प्रति समर्पित नहीं दिखता है। ऐसे में कुछ वर्गों के बीच कांग्रेस जाने का प्लान बना रही है ताकि उन्हें लुभाया जा सके। इसी प्लानिंग के तहत 3 अहम वर्गों ओबीसी, दलित और मुस्लिमों के बीच पैठ बनाने की तैयारी है। इसके अलावा पार्टी को लगता है कि भाजपा के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुकाबला भी वह सामाजिक न्याय की अवधारणा के जरिए कर सकती है।

कांग्रेस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था पहले ही रही है। सामाजिक वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए कांग्रेस ने जो कमेटी बनाई है, उसमें दिग्विजय सिंह, कुमारी शैलजा, मीरा कुमार, के. राजू, एसएस रंधावा और अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। इसके मुखिया के तौर पर सलमान खुर्शीद कामकाज संभाल रहे हैं। वहीं कांग्रेस अब पैनलों की संख्या और उसके सदस्यों में भी कटौती करना चाहती है। पार्टी का मानना है कि उन नेताओं को हटाया जाएगा, जिनकी छवि बहुत अच्छी नहीं है और वे ऊंचे पदों पर बैठे हैं। खासतौर पर कांग्रेस के सचिव के पद पर करीब 100 नेता हैं। इस संख्या में कटौती की जाएगी और इसे 30 तक ही लाया जाएगा।

प्रदेश संगठनों में झगड़े निपटाने का भी बनाया प्लान
इसके अलावा प्रदेश संगठनों में टकराव को रोकने के लिए भी योजना बन रही है। इसके लिए प्रदेश अध्यक्षों को सशक्त किया जाएगा कि वे जिला अध्यक्षों की नियुक्ति खुद से कर सकें। अब तक हाईकमान की ओर से ही जिलाध्यक्षों को भी नामित किया जाता रहा है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button