पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने आलाकमान से लगाई गुहार, सिद्धू की जुबान न कर दे सियासी नुकसान
नई दिल्ली
पंजाब विधानसभा चुनाव के ऐलान में अब ज्यादा वक्त नहीं है। चुनाव आयोग किसी भी दिन तिथियों की घोषणा कर सकता है। इस सबके बावजूद कांग्रेस में अंदरूनी कलह खत्म नहीं हुई है। पार्टी को डर है कि नवजोत सिंह सिद्धू की सियासी बयानबाजी का खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
पार्टी कई बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को सार्वजनिक तौर पर अपनी सरकार के खिलाफ बयानबाजी नहीं करने की नसीहत दे चुकी है। पर सिद्धू मानने के लिए तैयार नहीं हैं। पार्टी सिद्धू की महिलाओं को दो हजार रुपए और आठ गैस सिलेंडर देने के ऐलान पर भी खासी हैरान है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के अंदर इस तरह के ऐलान को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। सिद्धू ने खुद को सुर्खियों में रखने के लिए इस तरह की घोषणा की है। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उनके चन्नी सरकार के खिलाफ बयानबाजी से भी पार्टी को खासी फजीहत उठानी पड़ी है।
ऐसे में पार्टी सिद्धू को और ज्यादा मौका नहीं देना चाहती है। पंजाब की स्क्रीनिंग कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकट दिलाने के लिए दबाव बनाए हुए हैं, पर पार्टी इस दबाव में नहीं आएगी। जीत के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन होगा।
सिद्धू की बयानबाजी पर लगाम लगाने की मांग
इस बीच, सिद्धू के साथ बढ़ती नाराजगी के बीच उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा, भारत भूषण आशु, परगट सिंह और अमरिंदर सिंह वडिंग ने दिल्ली में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है। इन नेताओं ने संगठन महासचिव से सिद्धू की बयानबाजी पर लगाम लगाने की मांग की है। बैठक के बाद रंधावा ने कहा कि पंजाब चुनाव कांग्रेस के नाम पर लड़ा जाएगा। कांग्रेस ही चुनाव में चेहरा होगी। दरअसल, सिद्धू लगातार पार्टी पर मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने का दबाव बना रहे हैं। उनकी दलील है कि बिना दूल्हे के बारात निकालने से पार्टी को नुकसान होगा।
रंधावा ने सिद्धू के लिए पद छोड़ने की पेशकश की थी
दरअसल, रंधावा ने हाल ही में सिद्धू पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि सिद्धू से उनके पुराने संबंध हैं, पर वह जब से पंजाब के गृहमंत्री बने हैं, तब से कांग्रेस अध्यक्ष उनसे नाराज हैं। सिद्धू को अगर गृह मंत्रालय चाहिए, तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।