राजनीतिक

अपनी ही गलतियों से बीजेपी को विधानसभा के मुकाबले 32 हजार वोट कम मिले

भोपाल
भाजपा को विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक विधायक देने वाले विन्ध्य क्षेत्र की शिवराज सरकार में भागीदारी नहीं होने और विकास कार्यों में मिलने वाले तवज्जो में कमी से उपजे गुस्से का गुबार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए यहां नई राजनीतिक जमीन तैयार करने के संदेश दे रहा है। इसके साथ ही जिलों में भाजपा नेताओं के बीच समन्वय की कमी और आपसी खींचतान में एक दूसरे को पटखनी देने की कार्यशैली ने भी बीजेपी को डैमेज किया है जिस पर अब पार्टी की चिंता आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बढ़ गई है। रीवा और सिंगरौली महापौर के चुनाव में भाजपा को मिली शिकस्त ने विन्ध्य में बीजेपी के घटते जनाधार और भाजपा के प्रति लोगों की नाराजगी को सामने ला दिया है।

रीवा विधानसभा में वर्ष 2018 में हुए चुनाव में भाजपा को 69806 मत मिले थे और राजेंद्र शुक्ला को जीत मिली थी। यहां तब कांग्रेस को 51717 मत ही मिल सके थे। करीब चार चाल के अंतर के बाद वोटर बढ़े लेकिन नाराजगी के चलते मतदान करने नहीं गए और जो गए वे भाजपा के बजाय दूसरे दलों को वोट कर लौटे। इसके चलते महापौर के चुनाव में बीजेपी को 37710 मत ही मिल सके जबकि कांग्रेस को विधानसभा और महापौर चुनाव में मिले मतों से ज्यादा अंतर नहीं रहा। यहां महापौर पद पर जीते अजय मिश्रा बाबा को 48011 मत हासिल हुए। उधर विन्ध्य क्षेत्र के ही सिंगरौली विधानसभा चुनाव में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी को 36706 वोट मिले थे और इस चुनाव में भी आम आदमी पार्टी से लड़ी रानी अग्रवाल को 32167 मतों से संतोष करना पड़ा था। सिंगरौली मेयर के लिए हुए चुनाव में रानी अग्रवाल आम आदमी पार्टी को 34585 मिले और भाजपा को 25233 वोट मिल सके। यहां बीजेपी चार साल पहले मिले चुनाव से 11 हजार कम वोट हासिल कर सकी।

आम आदमी पार्टी, बसपा की ओर झुके वोटर
रीवा में महापौर के चुनाव में भाजपा से नाराज वोटर ने कांग्रेस को वोट देने के साथ आम आदमी पार्टी और बसपा को भी खूब वोट दिए हैं। यहां बीएसपी उम्मीदवार जयप्रकाश कुशवाहा जेपी को 6008, इंजीनियर दीपक सिंह आम आदमी पार्टी को 8387 मत मिले। इसी तरह की स्थिति सिंगरौली नगर निगम के मामले में रही। सिंगरौली में भी भाजपा की नाराजगी का फायदा आम आदमी पार्टी को मिला और रानी अग्रवाल महापौर निर्वाचित हुई।

नाराजगी की बड़ी वजह विन्ध्य से कैबिनेट में जगह नहीं मिलना
विन्ध्य में सीधी नगर पालिका और चुरहट नगर पंचायत में भी भाजपा के पार्षद प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है। यहां कांग्रेस कैंडिडेट हावी रहे हैं। इस नाराजगी की वजह विन्ध्य क्षेत्र से पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 30 में से 25 विधायक दिए जाने के बाद भी सरकार बनने पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाना बताया जा रहा है। पहले यहां से सिर्फ रामखेलावन पटेल को मंत्री बनाया गया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष भी बनाए गए लेकिन पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल की मजबूत दावेदारी और यहां के लोगों की डिमांड के बाद भी उन्हें मंत्री न बनाने की नाराजगी भी इससे जोड़कर देखी जा रही है। सीधी को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से वहां भाजपा के वोट प्रभावित हुए हैं।  

पंचायत चुनाव में दिग्गज भाजपाइयों के परिजनों ने किया हार का सामना
विन्ध्य की जनता ने गैरदलीय आधार पर पंचायत चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेताओं के परिजनों और रिश्तेदारों को हार का सामना करना पड़ा। सबसे अधिक चर्चा में रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने वाले विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम की हार रही। राहुल गौतम के गिरीश के भतीजे पद्मेश ने हराया जो कांग्रेस समर्थित थे। इसी तरह मनगवां से भाजपा विधायक पंचूलाल प्रजापति की पत्नी और पूर्व विधायक पन्नाबाई प्रजापति को भी हार का सामना करना पड़ा था। सतना जिले में पूर्व मंत्री जुगुल बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी, बहू वंदना बागरी भी चुनाव लड़े और दोनों ही हार गए। मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी का बेटा जनपद पंचायत सदस्य चुनाव जीतने में सफल रहा है। इसके अलावा सतना भाजपा जिला कोषाध्यक्ष और मंडल उपाध्यक्ष चुनाव हार गए हैं। शहडोल संभाग में खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह की पुत्रवधू अनूपपुर जनपद की वर्तमान अध्यक्ष ममता सिंह से चुनाव हार गई है। बिसाहूलाल की पुत्रवधू जनपद सदस्य का चुनाव लड़ी थी वही मंत्री बिसाहूलाल के बेटे जनपद सदस्य चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। अनूपपुर में डिप्टी कलेक्टर की नौकरी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए प्रदेश महासचिव रमेश सिंह की पत्नी में चार हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की है।

जिला अध्यक्ष के वार्ड में हारी बीजेपी
रीवा में भाजपा के प्रति लोगों की नाराजगी का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि भाजपा जिला अध्यक्ष अजय सिंह अपने ही वार्ड में भाजपा प्रत्याशी को नहीं जिता सके। इसी तरह की स्थिति पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के वार्ड में भी रही है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी पार्षद बना है। महापौर पद के लिए दावेदारी कर रहे व्यंकटेश पांडेय को बीजेपी ने पार्षद का टिकट दिया था और नगर निगम में वार्ड क्रमांक 24 से व्यंकटेश पाण्डेय भाजपा विजयी हुए हैं।

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